शांतिधारा अमृतधरा - उपयोग और लाभ
Автор: शांतिधारा गिर गौशाला
Загружено: 2020-10-01
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शान्तिधारा पंचगव्य अनुसंधान केंद्र में निर्मित अमृतधारा बहुउपयोगी औषधि है। आयुर्वेदिक शास्त्रो द्वारा प्रमाणित है।
प्रयुक्त सामग्री - भीमसेनी कपूर, अजवाइन सत, पुदीना सत।
अमृतधारा के उपयोग-
1. पेट समस्या :- बदहजमी, पेटदर्द, दस्त, उल्टी में 3-4 बूंद थोड़े पानी में मिलाकर सेवन करें ।
भोजन के बाद दोनों समय 2-3 बूँद अमृतधारा ठंडे पानी में मिलाकर पीने से मन्दाग्नि, अजीर्ण, बादी, बदहजमी एवं गैस ठीक हो जाती है ।
2. गैस,खट्टी डकार :- 2-3 बूँद अमृतधारा ठंडे पानी में मिलाकर पीये, साथ ही पेट पर भी 3-4 बून्द ले मालिश करें।
3. मुँह के छालों :- थोड़े पानी में 1-2 बूँद डालकर लगाने से लाभ होता है।
4. दाँत दर्द और मसूड़ो में सूजन :- रूई में भिगोकर दांत में दबा ले और मसूड़ो पर मालिश करे।
5. सिरदर्द :- 2 बूँद सिर, माथे और कान के आस पास मलें।
6. सर्दी,कफ और सांस तकलीफ :- सूँघने पर साँस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है , गर्म पानी मे डालकर भाप लेने से शीघ्र आराम मिलता है।
7. जहरीले डंक :- ततैया, बिच्छू, भौरा या मधुमक्खी के काटने के स्थान पर अमृतधारा मलने से लाभ होता है ।
8. हिचकी:- 1-2 बूँद अमृतधारा जीभ में रखकर मुँह बंद करके सूँघने से 4 मिनट में ही लाभ होता है ।
त्यागी, व्रतियों में यह औषधि बहुत प्रचलित है एवं असरकारक है।
40₹/8 मि० ली० (रोलर)
50₹/10 मि० ली० (ड्रॉपर)
शांतिधारा पंचगव्य अनुसंधान केंद्र (श्री दि.जैन अति.क्षेत्र बीनाजी बारह का उपक्रम)
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित
लायसेन्स संख्या : MP/25D/20/719
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