बैठी रहूँ यमुना में आस लगायें | यमुनातट का विरह प्रसंग |
Автор: Radha Krishna Premkatha
Загружено: 2025-09-23
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श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने के बाद ब्रज की गलियाँ सूनी हो गईं।
वियोग में डूबी श्री राधा कभी यमुनातट पर अकेली बैठकर श्रीकृष्ण को याद करती हैं तो कभी खुद की ही आवाज़ की गूँज सुनने से भ्रम कर बैठतीं हैं, तो कभी नंदगाँव जाकर नंद महल का दर्शन करतीं हैं।
यशोदा मैया से मिलकर आँसुओं में भीग जातीं और उनका हृदय विरह की ज्वाला में तपता रहता हैं।
यह दिव्य कथा राधारानी के उस गहन प्रेम और वियोग की है, जो भक्ति को अमृतमयी बनाती है।
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👉 इस वीडियो में देखिए –
यमुनातट पर राधा का विरह भाव
स्वरों की गूँज से उत्पन्न उन्माद
नंदगाँव की यात्रा और नंदमहल का दर्शन
यशोदा मैया से मिलन और अश्रुपूर्ण आलिंगन
💠 "राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं, और कृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं।"
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