बघेलखण्ड खजुलइयाँ लोक पर्व | Kajaliya Festival | खजुलइयाँ त्योहार का इतिहास | महाराजा वेंकट रमण सिंह
Автор: Shabd Sanchi Vindhya
Загружено: 2025-08-09
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विंध्य क्षेत्र में सावन और भादों के महीने में, जब प्रकृति अपनी हरीतिमा से हरित होकर हर्षित होती है, तो यूं लगता है, जैसे किसी उमंगित नववधू ने सावन में सोलह शृंगार किए हो। आषाढ़ के महीने में, अंकुरित धान की फसल उस समय कुछ बड़ी होकर अंगड़ाई लेने लगती है.उसे देख यूं लगता है, जैसे खेतों में यौवन आ गया हो। उसी फसल को देखकर खेतों की मेड़ में बैठा किसान प्रफुल्लित होता रहता है। और प्रफुल्लित मन से फूटते हैं गीत, और गीत तो होते ही हैं उत्सव का प्रतीक।
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