जैव विकास के प्रमुख सिद्धांत | लैमार्क वाद | डार्विनवाद | उत्परिवर्तनवाद | biology part - 01
Автор: UP learner
Загружено: 2025-05-06
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जैव विकास के प्रमुख सिद्धांत | लैमार्क वाद | डार्विनवाद | उत्परिवर्तनवाद | biology part - 01
summary
जैव विकास के प्रमुख सिद्धांत :–
1. लैमार्क वाद या उपार्जित लक्षणों की वंशागनुति का सिद्धांत :–
सन् 1809 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक डी. लैमार्क ने उनकी पुस्तक "फिलोसॉफिक जूलोजिक" में इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया। इसके अनुसार वातावरण आवश्यकता एवं उपयोग के आधार पर प्राणियों की संरचना में परिवर्तन हो सकते हैं तथा धीरे-धीरे ये परिवर्तन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशानुगत हो जाते हैं तथा नई जाती का विकास होता है।
– प्रमाण पक्ष में : –
1. जिराफ की गर्दन का लम्बा और लंबे अग्रपाद होना ऊंचे पेड़ो की पत्तियों पर निर्भर रहने का कारण सम्भव हुआ।
2. सर्प की टांगों का लुप्त होना (बिल में रहने से टांगों का उपयोग कम होने से टांगें लुप्त हुई) ।
3. जलीय पक्षियों की उंगलियों के बीच पादजा का विकास।
4. मांसाहारियों में तीखे नाखून या नखर युक्त पंजों का विकास।
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