Main He Wo Ram – Shlovij | prod. X Zeus | Shri Ramayan Rap | Veer Ras Devotional Anthem
Автор: SHLOVIJ
Загружено: 2025-11-10
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/ shlovij
About This Song👇
💥 "Main Hi Wo Ram" by Shlovij is not just a song — it’s a divine narration of Maryada Purushottam Shri Ram’s entire journey, expressed through rap and veer ras (heroic emotion).
Each verse unveils the untold power, dharma, and righteousness of Lord Ram — from his birth, vanvaas, and battle against evil, to the triumph of dharma.
🔥 This is Ramayan in rap form — lyrical, powerful, and rooted in truth.
LYRICS👇
Intro:
तुम पर राम की प्रार्थना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
तुम राम की विनम्रता को उसकी असमर्थता जानकर जड़ बने हुए हो।
संसार ने आज तक राम की कृपा देखी है,
उसका कोप नहीं देखा।
Verse१:-
मेरे जन्म का ही उद्देश्य धर्म की रक्षा, राक्षसों का विनाश।
जितना है शांत मेरा स्वभाव, मेरा कोप उससे ज्यादा विराट।
लक्ष्य मेरा है धर्म, सत्य की राह व मर्यादा हो साथ।
जितना ये राम उद्दार उससे ज्यादा है दुष्टों का काल ग्रास।
बाल्यकाल शिक्षा वशिष्ठ गुरुदेव द्वारा प्रदान हुई।
प्रारम्भ से ही मर्यादा, धर्मता, सत्य मेरी पहचान हुई।
वेद शास्त्र, शास्त्रार्थ, राजनीति, धनुर्वेद का ज्ञान लिया।
मैंने पितृ आज्ञा मानी सदैव सदा गुरुओं का सम्मान किया।
12 वर्ष की आयु में गुरु विश्वामित्र के साथ गया।
मैंने वचन दिया यज्ञ रक्षा का सभी दुष्टों पर आघात किया।
ताड़का को मैंने मार दिया फिर सुबाहु का संहार किया।
यज्ञ रक्षा का वचन पूर्ण ऋषि मुनियों पर उपकार किया।।
13 वर्ष की आयु में किया जनकपुर में शिव धनुष भंग।
और साथ साथ श्री परशुराम के अहंकार का त्याग किया।
सीता संग विवाह किया सत्य धर्म पथ का निर्वाह किया।
12 वर्ष तक राजकुल में हर कर्म तात अनुसार किया।
25 वर्ष की आयु में मैंने राज सिंहासन त्याग दिया।
माँ कैकेई का माना वचन व स्वीकारा जो भी मेरे भाग दिया।
पिता श्री से वरदान मांग माँ कैकई ने वनवास दिया।
ना वचन दिया खाली जाने क्षण भर भी ना बर्बाद किया।
Bridge:-
मैं सत्य धर्म हूं, मैं ही मर्यादा
कर्तव्य निष्ठ ही, है राम की भाषा।
ना द्वेष किसी को, ना बैर सिखाता।
मैं ही वो राम हूं, जो प्रेम सिखाता।
Verse २:-
हुआ चौदह वर्ष वनवास प्राप्त,
संग भार्या सीता, लक्ष्मण थे साथ, संपूर्ण राज्य में शोक व्याप्त,
किंचित था राम को धर्म ज्ञात।
25 से 36 वर्ष दंडकवन में सदाचार किया
इसी बीच मैंने वन में विराध नामक राक्षस संहार किया।
श्रापमुक्त कर करी मुक्ति और प्रभुता का उपहार दिया
गौतम ऋषि के आश्रम में मैंने ही अहिल्या का उद्धार किया।
आयु मेरी 37 वर्ष जब सुपर्णखा का तिरस्कार किया।
प्रस्ताव संग उसके विवाह जब मैंने ना स्वीकार किया।
खर-दूषण जब आए लड़ने मृत्यु देकर सत्कार किया।
14000 राक्षस की सेना क्षण भर में सबको ही मार दिया।
वन में मैंने मारीच मारा,जिसने लिया था छल का सहारा, भार्या मेरी छल से चुरा ली, फिरा राम वन में फिर मारा मारा।
मध्य राह मिले फिर जटायू,
कटा पंख एक बची ना थी आयु।
किया युद्ध रावण के संग, वृतांत सारा ही कह दिया यूं।
ले गया वो पुष्पक में चढ़ के लंका की ओर माता को साथ।
दृश्य देख संपूर्ण बल से किया रोकने का मैंने प्रयास।
खोज करने आओगे आप इस बात का था मुझको आभास।
कहते कहते अंतिम ली सांस, मेरे हाथों उसको हुआ मोक्ष प्राप्त।
Bridge:-
मैं सत्य धर्म हूं, मैं ही मर्यादा
कर्तव्य निष्ठ ही, है राम की भाषा।
ना द्वेष किसी को, ना बैर सिखाता।
मैं ही वो राम हूं, जो प्रेम सिखाता।
Verse ३:-
38 वर्ष की आयु में माँ शबरी का उद्धार किया।
राक्षस कबंध को मार दिया लंका की ओर प्रस्थान किया।
ऋष्यमूक पर्वत पे मैंने हनुमान को था पहचान लिया।
महाबली बाली के लील प्राण, सुग्रीव को फिर सम्मान दिया।
39 वर्ष आयु समुद्र के तट पे राम था पहुंचा
लांघ पाना मुश्किल समुद्र विनती का मार्ग ही सूझा
रामेश्वरम की स्थापना की उपवास रखा ना मार्ग मिला।
भरे क्रोध में बोले सोख लूं जल ना मार्ग अब दूजा।
पत्यंचा खींच दिया चढ़ा तीर
और बोले सोख दे सारा नीर
राम ने जो करी प्रार्थना तो है
समझ बैठा मेरे बल को क्षीण
ऐसा करो ना बोला समुद्र
मैं तो प्रभु हूं आप ही का पुत्र
नल व नील वरदानधारी,
बंधवा दो मुझपे सेतु का सूत्र।
सेतु समुद्र पर बांध लिया।
लंका को सेना संग साध लिया।
रावण को संधि प्रस्ताव दिया।
जाने क्या क्या मैंने कार्य किया।
सोचा मैंने ना हो विनाश लंका का भेजे समझाने दूत।
विनाशकाले विपरीत बुद्धि रावण अहम में अपने था चूर।
पुत्र भेजे कभी भ्रात भेजे माया पे जिनकी उसको गुरुर।
मृत्युशैया सजी रण में उनकी ना देख पाए मेरा स्वरूप।
जितना कृतघ्न उतना ही नाशी।
मर्यादा मेरी ना शत्रु दासी।
राम जितना मर्यादा प्रिय,
उतना ही दुष्टों का काल ग्रासी।
बाण चढ़ते ये जब धनुष पे।
चढ़ती है साथ मेरी सत्यता भी।
कितने दुष्ट संहारे मैंने धरती पे लाज रखी सत्यता की।
Bridge:-
मैं सत्य धर्म हूं, मैं ही मर्यादा
कर्तव्य निष्ठ ही, है राम की भाषा।
ना द्वेष किसी को, ना बैर सिखाता।
मैं ही वो राम हूं, जो प्रेम सिखाता।
Hook:-
CREDITS:
Written, Composed & Performed By- Shlovij
Produced & Mixed/Mastered By- X Zeus
/ x___zeus
Poster/Thumbnail - Aman Singh
/ aman__singh8428
Video - Alok Singh chouhan
/ x.sacred.guy.x
Distribution partner - Fhigh Official
/ fhigh.official
Digitally Powered By- Sarvinarck Music
/ sarvinarck
Intro Dialogue Vocal- Arun Govil Sir from Ramayan (Ramanand Sagar) The dialogues of Ram in Ramanand Sagar's 'Ramayana' were written by- Dr. Rahi Masoom Raza.
Video Sponser by- Shyama Bhakti App
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