अमृतवचन -डॉ हेडगेवार :जीवन यात्रा का पाथेय SMR DrHW
Автор: Rashtriya Samvad -राष्ट्रीय संवाद
Загружено: 2025-08-10
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यात्रा में काम आने वाले खाद्यपदार्थ को पाथेय कहते है, परंतु यह तो जीवन यात्रा का पाथेय है | अर्थात केवल उदरभरण इस पाथेय का लक्ष नहीं है| यह मन तथा बुद्धी का पोषण करने हेतू जुटाया गया है| ध्येयवाद, श्रद्धा, निष्ठा, परिश्रम, दृढता, लोगों को जोड़ना आदि का पाठ पढ़ाने वाले ये परमपूज्यनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवारजी के अमृतवचन हैं|
यह छोटीसी पुस्तिका बड़ी आसानी से जेब में रखी जा सकती हैं| उतनीही सहजतासे वह पढ़ीं जा सकती हैं और ह्रदय में भी धारण की जा सकती हैं| वे शब्द सामान्य नहीं हैं| उनके द्वारा डॉक्टरजी के जीवन का सार-सर्वस्व प्रकट हुआ है| यह अमूल्य सिद्धांत रत्नों की मंजूषा हैं| अविरत आत्मभोजन खिलाने वाली यह सूर्यभगवान की दी हुई थाली हैं| यह राम-बाणों से भरा हुआ अक्षय तुणीर हैं| आलस्य, हताशा, स्वार्थान्तता, संकुचित वृत्ति, बुद्धिभेद, अकर्मण्यता, आदि राक्षसों का नाश करने का सामर्थ्य इस ग्रन्थ की एक-एक सूक्ति में है|
कोई भी पृष्ठ आप खोले, कोई भी छोटासा वचन पढ़े, ह्रदय में नया प्रकाश पाए, और नवचेतना के साथ कार्य में जुट जाए, ऐसा ही ग्रंथ का स्वरुप है|
हमें आशा और विश्वास है की हमारा यह प्रयास सबको प्रिय प्रतीत होगा|
प्रकाशक
संकलन :भैयाजी सहस्रबुद्धे उर्फ प्र. ग. सहस्रबुद्धे
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