मृत्यु के बाद पिंडदान का क्या महत्व है ? गरुड़ पुराण : | What is Pind Daan after death?
Автор: Shree Dham vaikund darshan
Загружено: 2024-09-13
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पिंडदान का महत्व मृत्यु के बाद (गरुड़ पुराण के अनुसार):
गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद होने वाले कर्मकांडों और आत्मा के सफर का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अनुसार, पिंडदान का विशेष महत्व है, क्योंकि यह आत्मा को तृप्त करने और उसे मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करता है। मृत्यु के बाद, आत्मा सूक्ष्म शरीर में होती है और उसे अगले जन्म की ओर अग्रसर होने या मोक्ष प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष कर्मकांडों की आवश्यकता होती है, जिनमें से पिंडदान प्रमुख है।
पिंडदान का महत्व:
आत्मा को तृप्ति: गरुड़ पुराण के अनुसार, पिंडदान से आत्मा को तृप्ति मिलती है और वह भूख-प्यास जैसी सांसारिक आवश्यकताओं से मुक्त हो जाती है।
नरक यात्रा से बचाव: पिंडदान से आत्मा को यमलोक की कठिन यात्रा से मुक्ति मिलती है, और वह नरक के कष्टों से बच जाती है।
मोक्ष प्राप्ति: गरुड़ पुराण के अनुसार, पिंडदान आत्मा को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त करके उसे मोक्ष की दिशा में ले जाता है।
पितरों का आशीर्वाद: पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिससे परिवार के जीवित सदस्यों पर उनका आशीर्वाद बना रहता है और उनके जीवन में समृद्धि आती है।
कर्मबंधन से मुक्ति: यह प्रक्रिया मृतक की आत्मा को उनके कर्मों से मुक्ति दिलाती है और उन्हें परम शांति प्राप्त करने में सहायता करती है।
गरुड़ पुराण में पिंडदान को आत्मा की मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का आवश्यक साधन माना गया है, और इसे मृत्यु के बाद किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण कर्मकांडों में से एक बताया गया है।
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