haldi ki kheti kaise kare | हल्दी की खेती का पूरा ब्यौरा | khet khalihan | turmeric field process
Автор: NAIN MUSEUM
Загружено: 2021-05-15
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कोरोना काल मे करें हल्दी की खेती और कमाएं लाखों का मुनाफा | बुवाई, सिंचाई व किस्मों का पूरा ब्यौरा
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हल्दी की खेती
हल्दी की खेती कैसे होती है
मसाला फसलों में हल्दी का अपना एक अलग महत्वपूर्ण स्थान है। हल्दी अपने पीले रंग व गुणों के कारण भारतीय मसालों के रूप में भोजन बनाने में प्रयोग में लाई जाती है। इसके अलावा कोई भी मांगलिक कार्य हो उसमें हल्दी का प्रयोग शुभ माना जाता है। हल्दी का उपयोग भगवान के पूजन में किया जाता है। इसके अलावा हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे इसका प्रयोग घरेलू रोगोपचार में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसे औषधी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।वर्तमान समय में सौंदर्य प्रसाधन के सर्वोत्तम उत्पाद हल्दी से ही बनाये जा रहे हैं. हल्दी में कुर्कमिन पाया जाता हैं तथा इससे एलियोरोजिन भी निकाला जाता हैं. हल्दी में स्टार्च की मात्रा सर्वाधिक होती हैं. इसके अतिरिक्त इसमें 13.1 प्रतिशत पानी, 6.3 प्रतिशत प्रोटीन, 5.1 प्रतिशत वसा, 69.4 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 2.6 प्रतिशत रेशा एवं 3.5 प्रतिशत खनिज लवण पोषक तत्व पाये जाते हैं. इसमें वोनाटाइन ऑरेंज लाल तेल 1.3 से 5.5 प्रतिशत पाया जाता हैं.
हाल के कोरोना काल मे को हल्दी और भी उपयोगी सिद्ध हनई है तथा कच्ची हल्दी की मांग बहुत बढ गई है इस प्रकार हल्दी बहुपयोगी फसल है। इसका यदि व्यावसायिक रूप से इसका उत्पादन किया जाए तो हल्दी की फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए जानते हैं किस प्रकार हम हल्दी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
हल्दी का परिचय
हल्दी भारतीय वनस्पति है। हल्दी के पौधे ज़मीन के ऊपर हरे-हरे दिखाई देते हैं। हल्दी के पत्ते केले के पत्ते के समान बड़े-बड़े और लंबे होते हैं, इसमें से सुगन्ध आती है। कच्ची हल्दी, अदरक जैसी दिखती है। हल्दी की गांठ छोटी और लालिमा लिए हुए पीले रंग की होती है।हल्दी की सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती है। इसके अलावा ओडिशा, तमिलानाडु व महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय, असम में इसकी खेती की जाती है। अब तो उत्तरप्रदेश और हरियाण के कुछ जिलों में भी इसकी खेती होने लगी है। आंध्र प्रदेश का देश के हल्दी उत्पादन में करीब 40 फीसदी का योगदान करता है। यहां कुल क्षेत्रफल का 38 से 58.5 प्रतिश उत्पादन होता है।भारत विश्व में सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक देश है. भारत में हल्दी का विभिन्न रूपों में निर्यात जापान, फ्रांस यू.एस.ए., यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, नीदरलैंड, सउदी अरब एवं आस्ट्रेलिया को किया जाता है.
बुवाई का समय
मई महीने के आखिरी सप्ताह में हल्दी की बुवाई करना सही रहता है। इसके अलावा जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वो अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक हल्दी को लगा सकते६ हैं। जिनके पास सिंचाई सुविधा का अभाव है वे मानसून की बारिश शुरू होते ही हल्दी लगा सकते हैं।
खेत की तैयारी
इसकी बवाई के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है। इसके लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। चूंकी हल्दी भूमि के नीचे उगाती है इसलिए गहरी जुताई करनी चाहिए। खेत को फसल योग्य बनाने के लिए भूमि को चार बार गहराई से जोतना होनी चाहिए क्योंकि जितनी अच्छी खेत की तैयारी होगी उत्पादन उतना ही ज्यादा होगा।
खाद तथा उर्वरक
इसमें गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए क्योंकि गोबर की खाद डालने से जमीन अच्छी तरह से भुरभुरी बन जायेगी। इससे जो भी रासायनिक उर्वरक दिया जायेगा, उसका समुचित उपयोग हो सकेगा। इसके बाद 100-120 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम फास्फोरस और 80-100 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर करना चाहिए।
प्रजातियां
सी.एल. 326 माइडुकुर
सी.एल. 327 ठेकुरपेन्ट
कस्तूरी
रोमा
सूरमा
सोनाली
Punjab Haldi 1
Punjab Haldi 2
बुवाई
जमीन अच्छी तरह से तैयार करने के बाद 5-7 मीटर, लंबी तथा 2-3 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाकर 30 से 45 सेमी कतार से कतार और 20-25 सेमी पौध से पौध की दूरी रखते हुए चार-पांच सेमी गहराई पर कंदों को लगाना चाहिए।बिजाई के लिए साफ-सुथरे ताजे और बीमारी रहित राईज़ोमस ( कंद ) का प्रयोग करें। बीज की मात्रा 6-8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर या 2.5 क्विंटल प्रति एकड़ बहुत होती है।
झपनी
पौधों को तेज धूप से बचाने के लिए तथा मिटटी में नमी बनाये रखने के लिए बुवाई के तुरन्त बाद 12 – 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से फसल को हरे पत्तों से ढकना चाहिए | बुवाई के 40 और 90 दिन बाद घास – पात निकालने और उर्वरक डालने के बाद 7.5 टन पति हेक्टेयर की दर से दोबारा हियर पत्तों में छपनी करनी चाहिए |
खरपतवार नियंत्रण
हल्दी की अच्छी फसल के लिए दो-तीन निराई करना आवश्यक हो जाता है। निराई-बुवाई के 80-90 दिनों बाद तथा दूसरी निराई इसके 1 महीने बाद करना चाहिए, किन्तु यदि खरपतवार पहले ही आ जाते हैं तथा ऐसा लगता है कि फसल प्रभावित हो रही है तो इसके पहले भी एक निराई की जा सकती है।
सिंचाई
हल्दी की फसल में 20-25 हल्की सिंचाई की जरूरत पड़ती हैं. गर्मी में 7 दिन के अन्तर पर तथा शीतकाल में 15 दिन के अन्तर पर सिंचाई करनी चाहिए
channel host :- SANDEEP NAIN
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