हर्षवर्धन और उनका साहित्य; Harshavardhana and his literature; EPISODE 307
Автор: Rajeev Ranjan Prasad
Загружено: 2021-10-24
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Описание: भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास की जब भी बात होगी, सम्राट हर्षवर्धन की चर्चा के अभाव में इसे अपूर्ण माना जायेगा। वे भारतीय शासकों में उच्चादर्शों के ऐसे प्रतिमान थे जिन्होंने तत्कालीन दो प्रमुख मान्यताओं सनातन व बौद्ध के साथ अपने जीवन और राज्य में सामन्जस्य बनाये रखा, सामाजिक और राजनैतिक दृष्टि से उनका युग इतिहास विवेचना में चमचमाता दिखाई पड़ता है। उनके शासन में रचनात्मकता और विद्वानों का आदर और प्रोत्साहन था, इसके अतिरिक्त स्वयं हर्षवर्धन भी महान कवि और विद्वानों में गिने जाते हैं। शासक के रूप में सम्राट हर्षवर्धन की योग्यता असाधारण और निर्विवाद रही है। आज मैं एक रोचक प्रसंग ले कर उपस्थित हुआ हूँ जहाँ मध्यकालीन विद्वानों ने सम्राट हर्षवर्धन की रचनाओं को उनका मौलिक नहीं माना है अपितु अनेक साक्ष्यों के माध्यम से यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया है कि सम्राट की कवितायें व नाटकों को धावक नाम के विद्वान ने लिखा और अपनी कृतियों को अपार धन ले कर हर्षवर्धन को बेच दिया। क्या कवि और नाटककार धावक की यही रचनायें कालांतर में सम्राट हर्ष द्वारा रचित मानी गयी हैं? जानते हैं इस विडियो में।
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