OBC को भी SC ST की तरह प्रमोशन में रिजर्वेशन मिलना चाहिए
Автор: Mr Pradeep Kumar BhimArmy
Загружено: 2025-02-03
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OBC को भी SC ST की तरह प्रमोशन में रिजर्वेशन मिलना चाहिए #news #uptak #bhimarmy #chandrashekharazad
ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण तथा प्रमोशन में आरक्षण देने का मुद्दा सामाजिक न्याय और संवैधानिक नीति का विषय है। इस पर पक्ष और विपक्ष दोनों के तर्क मौजूद हैं।
1. ओबीसी को विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं?
✅ पक्ष में तर्क (आरक्षण मिलना चाहिए)
1. राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी – ओबीसी की जनसंख्या 50% से अधिक है, लेकिन संसद और विधानसभा में इनका प्रतिनिधित्व एससी/एसटी की तुलना में कम है।
2. सामाजिक न्याय और समानता – जब एससी/एसटी को राजनीतिक आरक्षण दिया गया है, तो ओबीसी को भी समान अधिकार मिलना चाहिए।
3. आर्थिक और सामाजिक पिछड़ापन – ओबीसी समुदायों को भी सामाजिक और आर्थिक भेदभाव झेलना पड़ा है, इसलिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व से उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है।
4. अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें – कई आयोगों (जैसे मंडल आयोग) ने ओबीसी को आरक्षण देने की सिफारिश की है, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में इसे लागू नहीं किया गया।
❌ विपक्ष में तर्क (आरक्षण नहीं मिलना चाहिए)
1. संविधान में कोई प्रावधान नहीं – एससी/एसटी को आरक्षण संविधान में सामाजिक भेदभाव और छुआछूत के आधार पर मिला है, जबकि ओबीसी को ऐसा कोई कानूनी आधार नहीं मिला है।
2. वर्तमान प्रतिनिधित्व पर्याप्त – कई ओबीसी नेता पहले से ही चुनाव जीतकर संसद और विधानसभा में पहुंच रहे हैं, इसलिए अलग से आरक्षण जरूरी नहीं।
3. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा – आरक्षण से चुनावी प्रतिस्पर्धा सीमित हो जाएगी और सभी को समान अवसर नहीं मिलेगा।
4. जातिवाद को बढ़ावा – राजनीतिक आरक्षण से जातिगत राजनीति और बढ़ेगी, जिससे समाज में विभाजन हो सकता है।
संभावित समाधान
ओबीसी को चुनाव में टिकट वितरण में सुनिश्चित प्रतिनिधित्व दिया जाए।
ओबीसी समुदायों के लिए राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने हेतु विशेष योजनाएँ बनाई जाएं।
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2. ओबीसी को प्रमोशन में आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं?
✅ पक्ष में तर्क (मिलना चाहिए)
1. ऊपरी पदों पर प्रतिनिधित्व कम – सरकारी नौकरियों में ऊंचे पदों पर ओबीसी कर्मचारियों की संख्या कम है, जिसे प्रमोशन में आरक्षण से सुधारा जा सकता है।
2. सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन – ओबीसी समुदायों को भी भेदभाव और अवसरों की कमी का सामना करना पड़ा है, इसलिए प्रमोशन में आरक्षण से उन्हें समान अवसर मिलेंगे।
3. अन्य पिछड़े वर्गों के लिए न्याय – एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दिया जाता है, तो ओबीसी को इससे वंचित रखना असमानता होगी।
4. न्यायपालिका का लचीला दृष्टिकोण – सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण को असंवैधानिक नहीं माना, बल्कि इसे सरकार की नीतियों पर छोड़ दिया है।
❌ विपक्ष में तर्क (नहीं मिलना चाहिए)
1. संविधान में स्पष्ट प्रावधान नहीं – वर्तमान में संविधान में केवल एससी/एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान (अनुच्छेद 16(4A)) है, ओबीसी के लिए नहीं।
2. मेरिट सिस्टम को नुकसान – प्रमोशन में आरक्षण से कार्यकुशलता प्रभावित हो सकती है और योग्य उम्मीदवारों को पीछे रखा जा सकता है।
3. क्रीमी लेयर का सवाल – ओबीसी में कई जातियाँ संपन्न और शिक्षित हो चुकी हैं, इसलिए सभी को प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी नहीं।
4. अदालतों के फैसले – सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में प्रमोशन में आरक्षण को आवश्यक नहीं माना है और क्रीमी लेयर लागू करने को कहा है।
संभावित समाधान
सरकार संविधान संशोधन कर सकती है यदि ओबीसी को प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी लगे।
आरक्षण की बजाय ओबीसी कर्मचारियों के लिए विशेष ट्रेनिंग और अवसर दिए जा सकते हैं।
क्रीमी लेयर की परिभाषा को और स्पष्ट कर केवल जरूरतमंद वर्गों को लाभ दिया जाए।
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निष्कर्ष
विधानसभा और लोकसभा में ओबीसी आरक्षण – यह एक संवैधानिक मुद्दा है, जिसके लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी। राजनीतिक दल इसे अपने नीतिगत एजेंडे में शामिल कर सकते हैं।
प्रमोशन में ओबीसी आरक्षण – सरकार चाहे तो इसे लागू कर सकती है, लेकिन इसे न्यायपालिका और प्रशासनिक दक्षता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
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