भगवद गीता के अध्याय 11, श्लोक 31
Автор: Shlok Sarita
Загружено: 2025-12-13
Просмотров: 120
Описание:
नमस्कार मित्रों,
अब हम भगवद गीता के अध्याय 11, श्लोक 31 की ओर बढ़ते हैं — इस श्लोक में अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप को देखकर अपनी गहरी जिज्ञासा और भय व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि भगवान कौन हैं और इस विराट रूप का उद्देश्य क्या है।
📜 श्लोक 11.31
आख्याहि मे को भवानुग्ररूपो
नमोऽस्तु ते देववर प्रसीद ।
विज्ञातुमिच्छामि भवन्तमाद्यं
न हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम् ॥
🧠 भावार्थ (विस्तृत अर्थ):
“हे देवश्रेष्ठ! कृपया मुझे बताइए कि आप कौन हैं इस उग्र रूप में।
आपको मेरा नमस्कार है, कृपा करके प्रसन्न हों।
मैं आपको आदिपुरुष के रूप में जानना चाहता हूँ,
क्योंकि मैं आपकी प्रवृत्ति (कार्य और उद्देश्य) को नहीं समझ पा रहा हूँ।”
📘 श्लोक का सार (विस्तार से):
अर्जुन भगवान से पूछते हैं कि वे इस भयानक रूप में कौन हैं।
वे भगवान को नमस्कार करते हैं और उनसे कृपा की याचना करते हैं।
अर्जुन स्वीकार करते हैं कि वे भगवान की प्रवृत्ति और उद्देश्य को नहीं समझ पा रहे।
यह श्लोक अर्जुन की जिज्ञासा और भय दोनों को दर्शाता है।
🌟 गहन अर्थ:
यह श्लोक हमें बताता है कि जब मनुष्य ईश्वर की विराट शक्ति को देखता है, तो वह भय और श्रद्धा दोनों से भर जाता है।
अर्जुन यहाँ ज्ञान की खोज कर रहे हैं — वे जानना चाहते हैं कि भगवान का यह रूप किस उद्देश्य से प्रकट हुआ है।
यह हमें सिखाता है कि ईश्वर की इच्छा और कार्य को समझना मनुष्य के लिए कठिन है, परंतु भक्ति और विनम्रता से हम उनके रहस्य को जानने का प्रयास कर सकते हैं।
🙏 धन्यवाद,
अपने अनुभव नीचे कमेंट में साझा करें —
अगर आपको यह एपिसोड पसंद आया हो, तो Shlok Sarita को कमेंट करें, लाइक करें, शेयर करें, और श्लोक सरिता को सब्सक्राइब ज़रूर करें!
फिर मिलेंगे एक नए श्लोक संवाद के साथ — तब तक के लिए राम राम!
जुड़े रहिए Shlok Sarita के साथ — जहाँ हर श्लोक एक कहानी बनता है।
#meditation #shots #slokas #ramayan #bhagwatkatha #hindu #hindistories #viral #viralvideo #viralreels #shloka #shlokSarita #vrindavan @ShlokSarita / @shloksarita
Subsribe me : / @shloksarita
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: