ycliper

Популярное

Музыка Кино и Анимация Автомобили Животные Спорт Путешествия Игры Юмор

Интересные видео

2025 Сериалы Трейлеры Новости Как сделать Видеоуроки Diy своими руками

Топ запросов

смотреть а4 schoolboy runaway турецкий сериал смотреть мультфильмы эдисон
Скачать

भारत में यूरिया की किल्लत क्यों बढ़ रही है?सरकार, सब्सिडी और किसान — संकट का गणित समझिए!

Автор: Narayana IAS Academy Official

Загружено: 2025-11-03

Просмотров: 135

Описание: भारत में यूरिया की खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है — और यही आने वाले महीनों में संकट की जड़ बन सकती है।
सरकार द्वारा कीमतों को वर्षों से स्थिर रखने और मानसूनी सीजन में बढ़ी मांग के कारण, देश में यूरिया की खपत इस वित्त वर्ष में 40 मिलियन टन को पार करने की संभावना है।

⚠️ क्या है मौजूदा स्थिति

2024–25 में यूरिया की बिक्री 38.8 मिलियन टन तक पहुंची — अब यह 40 मिलियन टन के करीब है।

दूसरी ओर, घरेलू उत्पादन 30–31 मिलियन टन पर अटका हुआ है।

1 अक्टूबर 2025 तक भंडार घटकर 3.7 मिलियन टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 6.3 मिलियन टन था।

🧮 कीमत और खपत का गणित

यूरिया की MRP 2012 से ₹5,360 प्रति टन तय है (नीम कोटिंग के बाद ₹5,628)।

इसकी तुलना में अन्य उर्वरकों की कीमतें —

SSP: ₹11,500–12,000/टन

DAP: ₹27,000/टन

MOP: ₹36,000/टन
👉 यानी यूरिया सबसे सस्ता और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला खाद बना हुआ है।

🌾 नीम कोटिंग और नैनो यूरिया — असर क्यों नहीं दिखा

सरकार ने 2015 में नीम कोटेड यूरिया और 2021 में नैनो यूरिया लॉन्च किया ताकि खपत घटे।
लेकिन खपत 2017–18 के बाद फिर बढ़ी — अब हर साल नई ऊंचाई छू रही है।
किसानों के लिए यूरिया सस्ता, आसान और असरदार विकल्प बना हुआ है।

🏭 उत्पादन की सीमाएँ

2019 से 2022 के बीच छह नई यूरिया फैक्ट्रियां शुरू हुईं —
गोरखपुर, बरौनी, सिंदरी, रामागुंडम, गडेपान-III और पनागढ़।
लेकिन कुछ संयंत्र अपनी पूरी क्षमता पर नहीं चल रहे, जबकि दो फैक्ट्रियां (काकीनाडा और पनकी) बंद हो चुकी हैं।
👉 भारत की कुल उत्पादन क्षमता 30–31 मिलियन टन तक ही सीमित है।

🚢 आयात बनाम उत्पादन का विकल्प

भारत के पास अब 7 LNG टर्मिनल हैं — जिससे गैस आयात कर घरेलू उत्पादन संभव है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों के लिए यूरिया आयात बेहतर रहेगा,
जबकि उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत के लिए गैस आयात कर यूरिया बनाना ज्यादा सस्ता और व्यावहारिक होगा।

💡 आगे की राह

यूरिया की मांग घटेगी नहीं, बल्कि सिंचाई और फसल विस्तार से और बढ़ेगी।

सरकार को जल्द ही नई फैक्ट्रियों, MRP तर्कसंगतीकरण और राशनिंग नीति पर काम करना होगा।

विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं —

“यदि कदम नहीं उठाए गए, तो दशक के अंत तक खपत 45 मिलियन टन पार कर सकती है।”

#ureacrisis #indianagriculture #fertilizershortage #farmers #UreaSubsidy #agriculturenews #indianeconomy #nanourea #FertilizerPolicy #ruralindia #UreaDemand #fertilizercrisis

Не удается загрузить Youtube-плеер. Проверьте блокировку Youtube в вашей сети.
Повторяем попытку...
भारत में यूरिया की किल्लत क्यों बढ़ रही है?सरकार, सब्सिडी और किसान — संकट का गणित समझिए!

Поделиться в:

Доступные форматы для скачивания:

Скачать видео

  • Информация по загрузке:

Скачать аудио

Похожие видео

© 2025 ycliper. Все права защищены.



  • Контакты
  • О нас
  • Политика конфиденциальности



Контакты для правообладателей: [email protected]