"माया हिरण और रावण का छल""लक्ष्मण रेखा लांघी, लंका पहुँची""वन की माया, रावण की माया"
Автор: YOUTUBE NEW CHANNEL 123
Загружено: 2025-04-28
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वन उपवन में छाया था मोहक जाल,
मारीच बना हिरण, रचा माया का जाल।
सोने से दमकता, छल से चमकता,
सीता का मन मोहने चला था वह चाल।
राम चले वन में, पकड़ने स्वर्ण हिरण,
पीछे छोड़ी लक्ष्मण ने रक्षा की रेखा।
पर वेश बदले रावण ने साधु का छल किया,
सीता ने तोड़ी मर्यादा की रेखा।
छल, कपट और लालच के जाल में फँस,
सीता हुई रावण के रथ की सवारी।
एक माया हिरण से प्रारंभ हुआ,
लंका तक पहुँचने वाली दुखद यात्रा भारीजब भगवान राम वनवास के समय सीता और लक्ष्मण के साथ पंचवटी (दंडक वन) में निवास कर रहे थे, तब रावण ने छलपूर्वक सीता का हरण करने की योजना बनाई। इस योजना को सफल बनाने के लिए रावण ने अपने मामा मारीच का सहारा लिया। मारीच ने एक अद्भुत सुनहरे हिरण का रूप धारण किया, जो अपनी चंचलता और सुंदरता से सीता का मन मोह लेता है। सीता उस हिरण को पाकर राम से उसे लाने का आग्रह करती हैं।
राम उस हिरण का शिकार करने वन में चले जाते हैं और सीता की रक्षा हेतु लक्ष्मण को आदेश देते हैं कि वह किसी भी स्थिति में कुटिया की रक्षा करें। जाने से पूर्व लक्ष्मण ज़मीन पर एक सुरक्षा रेखा खींचते हैं — जिसे आज हम "लक्ष्मण रेखा" कहते हैं — और सीता से कहते हैं कि इस रेखा को किसी भी परिस्थिति में पार न करें।
इधर, राम के दूर जाते ही रावण एक साधु का वेश धारण कर सीता के द्वार पर आता है और भिक्षा माँगता है। सीता नियम के अनुसार अतिथि को दान देना चाहती हैं, किंतु लक्ष्मण रेखा के भीतर रहते हुए रावण को अन्न नहीं दे सकतीं। अतः, दान देने के लिए जैसे ही सीता लक्ष्मण रेखा पार करती हैं, रावण तुरंत अपने असली रूप में आकर उनका अपहरण कर लेता है और उन्हें अपने पुष्पक विमान में बिठाकर लंका ले जाता है।
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