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मानव शरीर पर कीटनाशकों और रसायनों के बुरे प्रभाव...

Автор: Deep Organics

Загружено: 2021-07-06

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Описание: खेतों के ज़रिये शरीर में उतरता ज़हर

कृषि रसायनों से दूषित होता पर्यावरण एवं स्वास्थ्य

एक समय था जब घर में भोजन बनते ही सारा घर महक उठता था। मेरी माँ आँगन में बिर्रा (गेहूं एवं चना के मिश्रण) की रोटियां एवं आलू प्याज की तली सब्जी बनाती थी और हम दोनों भाई चटखारे ले कर कहते थे। वह स्वाद आज भी मुँह में पानी भर देता है। आज भी माँ रोटी बनाती है, वही स्नेह है, लेकिन स्वाद में बहुत अंतर आ गया है। क्या कारण है कि धीरे धीरे अनाज एवं सब्जियों में से वह न भुलाने वाला स्वाद लुप्त होता जा रहा है। सब्जियों एवं खाद्यान्नों की ऊर्जा का ह्राष हो रहा है। कृषि रसायनों (Agricultural chemicals) ने हमारी मिट्टी, पानी, हवा और सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है। सबसे गंभीर प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर हुए हैं। यही जहरीले रसायन (Toxic chemicals) फलों (Fruits), सब्जियों, अनाजों, दालों, मसालों (Spices), खाद्य तेलों, दूध, अंडे, मांस, पानी आदि के साथ आपके शरीर में प्रवेश कर आपकी सेहत को तबाह करते हैं।


आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादा मात्रा में रासायनिक खाद (Chemical fertilizer) एवं कीटनाशक (Pesticide) इस्तेमाल करने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और उत्पादन बढ़ने से किसान का मुनाफा बढ़ सकता है। सरकार भी किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती करने की सलाह देती है, लेकिन इस वैज्ञानिक विधि का अर्थ सिर्फ और सिर्फ रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल तक ही सीमित होता है। 


अमेरिका में हुए अनुसन्धान से ज्ञात होता है कि जब कीटनाशी रसायनों का पेड़-पौधों, सब्जियों और फलों पर छिड़काव किया जाता है, तो इन रसायनों की 01 % मात्रा ही सही लक्ष्य तक प्रभावी हो पाती है, शेष 99 % रसायन पर्यावरण को प्रदूषित करता है। 


देश में फसलों पर हर वर्ष 25 लाख टन पेस्टीसाइड (Pesticide) का प्रयोग होता है। इस प्रकार हर वर्ष 10 हजार करोड़ रुपए खेती में इस्तेमाल होने वाले पेस्टीसाइडों पर खर्च हो जाते हैं। आज खतरा केवल रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से ही नहीं है, बल्कि खाद्य पदार्थों मे जिस तरह मिलावट का धंधा फल-फूल रहा है, वह मानवीय स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।


सब्जियों में जहरीले रसायनों की संख्या दिन प्रतिदिनन बढ़ रही है। एक आकलन के अनुसार वर्तमान में ही हम रोजाना 0.5 मि.ली. ग्राम जहर ले रहे हैं। परवल को रंगा जा रहा है, सब्जियों के आकार को जल्दी बडा करने के लिए उसमें आक्सीटोसिन (Oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जा रहा है। यह प्रयोग बेल वाली सब्जी पर सबसे ज्यादा किया जाता है, इससे सब्जियों की लम्बाई चौड़ाई जल्दी बढ़ जाती है और किसान ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। 


बासी सब्जियों को मैलाथियान (malathion) के घोल में 10 मिनट तक डाला जाता है, ताकि सब्जी 24 घंटे तक ताजा रहे। इसका प्रयोग भिन्डी, गोभी, मिर्च, परवल, लौकी, पत्ता गोभी पर किया जाता है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से अनाज, सब्जियां, दूध और पानी जो इंसान के जीवन का प्रमुख आधार हैं जहरीले बनते जा रहे हैं। इस वजह से इंसानी जीवन धीरे-धीरे खतरे में पड़ता जा रहा है।

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