षष्ठी देवी स्तोत्र||नियम पूर्वक रोज सुनने से होती है संतान की प्राप्ति||🙏🏻🙏🏻
Автор: Bhagti mei Aastha
Загружено: 2021-05-17
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षष्ठी देवी स्तोत्र||नियम पूर्वक रोज सुनने से होती है संतान की प्राप्ति🙏🏻🙏🏻🙏🏻
षष्ठी देवी स्तोत्र
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।
शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।।
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नम:।
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
शक्ते: षष्ठांशरुपायै सिद्धायै च नमो नम: ।
मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
पारायै पारदायै च षष्ठी देव्यै नमो नम:।
सारायै सारदायै च पारायै सर्व कर्मणाम।।
बालाधिष्ठात्री देव्यै च षष्ठी देव्यै नमो नम:।
कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम।
प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
पूज्यायै स्कन्दकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु।
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
शुद्ध सत्त्व स्वरुपायै वन्दितायै नृणां सदा ।
हिंसा क्रोध वर्जितायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि ।
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते ।
कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।।
।। इति समाप्त ।।
माँ षष्ठी देवी प्रजा पिता ब्रह्मा जी की मानसपुत्री हैं और कार्तिकेय की प्राणप्रिया हैं । ये देवसेना के नाम से भी जानी जाती हैं । इन्हें विष्णुमाया तथा बालदा अर्थात पुत्र देने वाली भी कहा गया है । भगवती षष्ठी देवी अपने योग के प्रभाव से शिशुओं के पास सदा वृद्धमाता के रुप में अप्रत्यक्ष रुप से विद्यमान रहती हैं । वह उनकी रक्षा करने के साथ उनका भरण-पोषण भी करती हैं । बच्चों को स्वप्न में कभी रुलाती हैं, कभी हंसाती हैं, कभी खिलाती हैं तो कभी दुलार करती हैं । कहा जाता है कि जन्म के छठे दिन जो छठी मनाई जाती हैं वो इन्हीं षष्ठी देवी की पूजा की जाती है । यह अपना अभूतपूर्व वात्सल्य छोटे बच्चों को प्रदान करती है ।
माँ दुर्गा का ही स्वरूप हैं माँ षष्ठी देवी जिसे शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता हैं । ऐसी दम्पत्ति जिन्हें संतान नहीं होती, उन्हें नवरात्रि काल में षष्ठी माता की आराधना करने से यह संतान देती है, संतान को दीर्घायु भी यही माता प्रदान करती हैं । बच्चों की रक्षा करना भी इनका स्वाभाविक गुण धर्म है । मूल प्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण ही इनका नाम षष्ठी देवी पड़ा है । ऐसी मान्यता हैं की नवरात्र में षष्ठी माता की पूजा आराधना एवं इनकी विशेष वंदना का पाठ करने से प्रत्येक शिशुओं की रक्षा होने के साथ ही निसंतानो को संतानों की प्राप्ति हो जाती हैं ।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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