हस्तरेखा विज्ञान कहा से आया है ?
Автор: The Mythological India
Загружено: 2025-03-21
Просмотров: 146
Описание:
हस्तरेखा विज्ञान (Palmistry) का भारत से गहरा संबंध है, क्योंकि यह प्राचीन वैदिक ज्ञान और ज्योतिष का हिस्सा है। इसे "हस्त संजीवनी विद्या" भी कहा जाता है और यह वेदों, उपनिषदों और पुराणों में उल्लेखित है।
भारत में हस्तरेखा विज्ञान का महत्व
भारत में हस्तरेखा विज्ञान का उद्गम महर्षि वाल्मीकि के समय से माना जाता है। इस विद्या का उल्लेख कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है, और इसे कर्म तथा भविष्यवाणी की विधा के रूप में देखा जाता है।
प्रसिद्ध ऋषि-मुनि जिन्होंने इसे विकसित किया
1. महर्षि वाल्मीकि – उन्होंने "वाल्मीकि संहिता" नामक ग्रंथ में हस्तरेखा विज्ञान का विस्तार से वर्णन किया।
2. महर्षि नारद – उनके द्वारा भी हस्तरेखा और ज्योतिष के गूढ़ रहस्यों पर प्रकाश डाला गया।
3. महर्षि समुद्र – उन्होंने "समुद्र शास्त्र" की रचना की, जो हस्तरेखा, मुखाकृति और अन्य शारीरिक लक्षणों के आधार पर भविष्यवाणी करने की कला को दर्शाता है।
4. गर्ग मुनि – उन्होंने भी ज्योतिष और हस्तरेखा विज्ञान पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
प्रसिद्ध ग्रंथ या किताबें
1. "समुद्र शास्त्र" – महर्षि समुद्र द्वारा रचित, यह पुस्तक हस्तरेखा विज्ञान की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक मानी जाती है।
2. "हस्तरेखा ज्ञान" – आधुनिक काल में इस पर कई किताबें लिखी गई हैं, लेकिन पारंपरिक रूप से समुद्र शास्त्र को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
3. "हस्तरेखा विज्ञान" – कई विद्वानों ने इस विषय पर गहराई से अध्ययन कर नई किताबें लिखी हैं।
भारत में इसका प्रभाव
भारत में हस्तरेखा विज्ञान आज भी काफी लोकप्रिय है और लोग इसे ज्योतिष के महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखते हैं। ज्योतिषाचार्य, साधु-संत और हस्तरेखा विशेषज्ञ इसका अध्ययन कर लोगों को मार्गदर्शन देते हैं।
#हस्तरेखा, #हस्तरेखाविज्ञान, #हाथदेखना, #समुद्रशास्त्र, #ज्योतिष, #महर्षिवाल्मीकि, #महर्षिसमुद्र, #नारदमुनि, #भारतीयज्योतिष, #भविष्यफल, #प्राचीनविज्ञान, #वाल्मीकिसंहिता, #हस्तसंजीवनी, #गर्गमुनि, #समुद्रशास्त्रकिताब
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: