🌼 गुरु–शिष्य की अद्भुत कहानी 🌼
Автор: ishwar ka marg
Загружено: 2025-12-03
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गुरु और शिष्य का रिश्ता सिर्फ ज्ञान का नहीं, जागृति का रिश्ता होता है।
यह कहानी बताएगी कि कैसे एक गुरु सिर्फ रास्ता ही नहीं दिखाता, बल्कि शिष्य के अंदर छिपी हुई ताकत को भी पहचान लेता है।
जीवन में चाहे कितनी भी असफलताएँ क्यों न आएं, सही मार्गदर्शन आपके भीतर की रोशनी को जगाकर आपकी किस्मत बदल सकता है।
इस अद्भुत कहानी को ज़रूर सुनें… शायद यह आपके जीवन की दिशा बदल दे।
🌼✨
एक बार एक युवा शिष्य अपने गुरु के पास आया। उसका मन बेचैन, विचार उलझे हुए, और जीवन में बार-बार असफलताओं से भरा था।
वह बोला—
“गुरुदेव, मैं हर प्रयास करता हूँ, पर सफलता मेरे पास आती ही नहीं… लोग कहते हैं कि मैं कमजोर हूँ। क्या मैं सच में कुछ नहीं कर सकता?”
गुरु मुस्कुराए और उसे अपने साथ नदी किनारे ले गए।
उन्होंने कहा—
“बेटा, हाथ में यह कंकड़ पकड़ो और पानी में फेंको।”
शिष्य ने कंकड़ फेंक दिया।
पानी में हल्की-सी लहर उठी… फिर शांत हो गया।
गुरु बोले—
“देखा? लहरें उठीं… पर शांत भी हो गईं।
ठीक ऐसे ही जीवन के दुख, अपमान और असफलताएँ हैं।
वे थोड़ी देर हमें हिलाती हैं, पर हमेशा के लिए हमें तोड़ नहीं सकतीं।”
फिर गुरु ने एक पत्थर उठाया और कहा—
“अगर तुम अपने मन को इस पत्थर की तरह भारी रखोगे—निराशा, शिकायत और डर से भरा—तो तुम खुद ही डूब जाओगे।
लेकिन अगर मन को पानी की तरह हल्का रखोगे—स्वीकार, प्रयास और विश्वास से—तो कोई ताकत तुम्हें गिरा नहीं सकती!”
इन शब्दों ने शिष्य की आंखें खोल दीं।
उसने प्रण लिया कि अब जीवन जैसा भी आए—
वह टूटेगा नहीं, बल्कि सीखेगा।
गुरु ने अंतिम वाक्य कहा—
“सफल वही होता है, जो गिरकर भी उठने की ताकत रखता है।
और यह ताकत बाहर नहीं… तुम्हारे अंदर है, बस उसे जगाना है।”
उस दिन से शिष्य बदल गया।
उसकी सोच, उसका जीवन और उसकी किस्मत — सब बदल गए।
क्योंकि उसने समझ लिया था कि गुरु वह नहीं जो सिर्फ राह दिखाए,
गुरु वह है जो शिष्य के भीतर की रोशनी जगा दे।
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