जालिय सुत्त: क्या आत्मा और शरीर एक हैं या अलग? | बुद्ध का गूढ़ दर्शन |
Автор: Jitendra Singh Jat 3.3M
Загружено: 2025-12-12
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जालिय सुत्त: क्या आत्मा और शरीर एक हैं या अलग? | बुद्ध का गूढ़ दर्शन |
जालिय सुत्त (Jāliya Sutta) में दो तपस्वी—जालिय और मंडिय—गौतम बुद्ध से एक अत्यंत गूढ़ प्रश्न पूछते हैं:
क्या आत्मा और शरीर एक ही हैं, या दोनों अलग-अलग हैं?
बुद्ध इस प्रश्न का सीधा उत्तर देने के बजाय श्रोताओं को यह समझाते हैं कि ऐसी दार्शनिक बहसें व्यक्ति को दुख से मुक्ति नहीं दिलातीं। वे बताते हैं कि जब तक मनुष्य जन्म, बुढ़ापा, रोग और मृत्यु के दुख को नहीं समझता और उससे मुक्ति का मार्ग नहीं अपनाता, तब तक आत्मा-शरीर जैसी चर्चाएँ केवल बौद्धिक उलझन बनकर रह जाती हैं।
इस सुत्त में बुद्ध का संदेश अत्यंत व्यावहारिक है—
दुख को जानो, दुख के कारण को समझो, दुख की निरोध अवस्था को पहचानो और अष्टांगिक मार्ग का अभ्यास करो।
यही सच्चा ज्ञान है, यही मुक्ति का मार्ग।
यह प्रवचन उन सभी लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो
• आत्मा और शरीर के रहस्य को समझना चाहते हैं
• निरर्थक तर्कों से ऊपर उठकर जीवन का समाधान चाहते हैं
• बौद्ध दर्शन को सरल और व्यावहारिक रूप में जानना चाहते हैं
इस वीडियो में जालिय सुत्त को सरल हिंदी में उदाहरणों के साथ समझाया गया है, ताकि आज के जीवन में भी बुद्ध के उपदेशों की प्रासंगिकता स्पष्ट हो सके।
बुद्धं शरणं गच्छामि 🙏
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By: Jitendra Singh Jat
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