जन्मादिव्यवस्थातःपुरुषबहुत्वम्।~ महर्षि कपिल (सांख्य दर्शन)पदार्थ
Автор: SANTANI LADKA
Загружено: 2025-12-15
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शिवाजी के बाल्यकाल की एक कहानी इस प्रकार प्रसिद्ध है जिससे उनके आगामी पवित्र जीवन का वृत्तान्त भली प्रकार मालूम होता है। कहते हैं कि जब शाहजी भोंसले बीजापुर दरबार में थे तब एक दिन
मुरार पन्त' ने शिवाजी से कहा " चलो आज तुमको दरबार में ले चलें और बादशाह को सलाम करायें।" होनहार बालक ने इसमें प्रसन्नता के बदले घृणा प्रकट की और कहा कि हम हिन्दू हैं और बादशाह यवन है, महायवन है, महानीच है। हम गौ और ब्रह्मण के सेवक हैं और वह उनका शत्रु है। हमार और उसका मेल नहीं हो सकता। मैं ऐसे मनुष्य से सलाम करना नहीं चाहता जो हमारे धर्म का शत्रु है। उसे तो मैं छूना भी नहीं चाहता। मैं ऐसे मनुष्य को कभी बादशाह नहीं मान सकता और न कभी उसका अदब कर सकता हूं। सलाम तो एक तरफ रहा, मेरे मन में यह बात आती है कि उसका गला काट डालूं।
✍️लाला लाजपतराय जी
स्वराज्य के अग्रदूत, मुगलों के काल, गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक, महाराजाधिराज छत्रपति शिवाजी महाराज के अवतरण दिवस पर महाराज के चरणों में हर सनातनी हृदय का कृतज्ञता पूर्वक सादर वन्दन नमन।🙏
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