क्यों विभीषण निकल गए राजा दशरथ का करने वध , रोक ना पाए स्वयं श्री राम| Vibhishana Killed Dashrath
Автор: The Bhakti
Загружено: 2021-11-20
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विभीषण ने जब करानी चाही राजा दशरथ की हत्या
रामायण की कई कहानियां है जो वाल्मीकि रामायण से काफी अलग नज़र आती है. जैन रामायण रामकथा का एक ऐसा ही रूप है जिसमे भगवान राम से जुडी कई ऐसी विविध कथाएं पायी जाती है जो अन्यत्र देखने को नहीं मिलती। यहाँ रावण खलनायक न होकर वीर योद्धा है जो श्री राम लक्ष्मण से मिलने के लिए सीता का अपहरण करता है ताकि उनके आने पर सीता को बड़े प्रेम के साथ उन्हें सौंपा जा सके. यहाँ रावण की मृत्यु लक्ष्मण के हाथों होती है क्योंकि राम अहिंसा में विश्वास रखते है. ऐसा ही एक वृत्तांत आज हम जानने का प्रयास करेंगे कि क्या रावण को पहले से ही पता था राम से उसकी मृत्यु का रहस्य ? क्या विभीषण ने करानी चाही थी दशरथ और कौशल्या की हत्या? क्या हुआ उसके बाद और कैसे इनके प्राणो की रक्षा हुई, आइये जानते है.
जैन रामायण पउमचरिय के अनुसार रावण की मृत्यु की भविष्यवाणी नारद द्वारा की गयी थी. नारद मुनि ने दशरथ और राजा जनक को बताया कि रावण की मृत्यु सीता के माध्यम से दशरथ पुत्र के हाथों होनी तय है. उनकी ये बातें उनके छोटे भाई विभीषण ने सुन ली और उन्हें अपने भाई रावण की चिंता होने लगी. ज्योतिषियों ने ये भी बताया कि राम लक्ष्मण सीता ने अभी तक जन्म नहीं लिया है पर इनका जन्म जल्द ही होने वाला है. ऐसे में विभीषण ने ये निश्चय किया कि वो माँ बाप को ही मार देगा ताकि रावण को मारने वाला पैदा ही न हो सके. इसके लिए विभीषण ने कुछ लोगों को रात में दशरथ और कौशल्या के महल में भेजा। पर दैवीय कृपा से राजा दशरथ को पहले ही सूचना मिल गयी थी कि उन्हें मारने कुछ लोग आने वाले है. ऐसे में राजा दशरथ रातो रात अपना शहर छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ चले गए और अपनी जगह एक मोम की मूर्ति वहां लिटा दी गयी. आक्रमणकारी आये तो उन्होंने दो लोगों को बिस्तर पर सोया हुआ पाया जो वास्तव में मोम से बनी थी. उन्होंने दोनों का सर धड़ से अलग कर दिया और कटे हुए सर जाकर विभीषण को दिखाते हुए कहा कि आपका काम हो चुका है. विभीषण ने जब उन कटे हुए सरो को देखा तो इस बात को लेकर आश्वस्त हो गए कि अब उनके भाई रावण को कोई नहीं मार पायेगा। पर आख़िरकार वही होता है जो नारद ने दशरथ और जनक को और रावण के ज्योतिषियों ने रावण को बताया होता है जहाँ सीता के माध्यम से दशरथ पुत्रो के हाथों उनकी मृत्यु होती है
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