राजा विक्रमादित्य - छलिया, योगी और स्वर्ण पुरुष की कथा।
Автор: Deadliest Player
Загружено: 2025-08-25
Просмотров: 15
Описание:
उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने एक बार अपने दरबार में एक छलिया (चालाक) योगी को देखा। यह योगी अपने योग और आध्यात्मिक साधनाओं के चलते बहुत प्रसिद्ध था और उसके पास एक स्वर्ण पुरुष भी था, जो रहस्यमय और दिव्य शक्तियों का प्रतीक था। राजा विक्रमादित्य को उस योगी और स्वर्ण पुरुष की परीक्षा लेनी थी कि वे सच्चे साधु हैं या छलिया।
राजा विक्रमादित्य ने योगी की तपस्या, बुद्धिमत्ता और चरित्र की जांच शुरू की। योगी ने कई कठिन वार्तालाप और परीक्षाएं पास कीं, जिसमें उनकी गहरी समझ और आत्म-नियंत्रण दर्शाए गए। इस दौरान स्वर्ण पुरुष भी कई बार राजा के सामने आया और अपनी शक्तियों का प्रदर्शन किया। परन्तु राजा ने छलिया योगी की चालाकी और धोखे को पहचान लिया।
फिर राजा विक्रमादित्य ने योगी और स्वर्ण पुरुष से कहा कि सच्चा योगी वह है जो अपनी बुद्धि और ज्ञान से समाज की भलाई करता है, न कि छल-फरेब से। उन्होंने योगी से कहा कि धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना ही वास्तविक साधना है। इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने छलिया योगी को उसके प्रलोभनों से मुक्त किया और उसे सुधार का मार्ग दिखाया।
राजा विक्रमादित्य की यह कथा इस बात पर प्रकाश डालती है कि नेतृत्व और शासन में बुद्धिमत्ता, न्यायप्रियता और धर्म का पालन सबसे महत्वपूर्ण होता है। साथ ही, यह भी सिखाती है कि कभी-कभी चालाकी के पीछे छुपी सच्चाई को समझना जरूरी होता है ताकि सही निर्णय लिया जा सके।
यह कहानी "सिंहासन बत्तीसी" और "विक्रम और बेताल" जैसी लोककथाओं में भी उल्लिखित है, जो राजा विक्रमादित्य के न्यायप्रियता और धर्मपालन के अनेक रूप दर्शाती हैं। इन कथाओं में छलिया योगी और स्वर्ण पुरुष की परीक्षा और उसके नतीजों के माध्यम से राजा की महानता और उसके दृष्टिकोण को उजागर किया गया है
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: