Sant Gadge Baba | कौन थे संत गाडगे | We The Bahujan
Автор: Jai Bheem Gujarat
Загружено: 2020-12-17
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Presents : Jay bhim Gujarat Digital
Script : Tushar Parmar
Voice : Ishan Tathagat
Editor : Tushar Parmar
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कौन थे संत गाडगे
संत गाडगे वास्तविक नाम देबूजी झिंगरजी जानोरकर था. संत गाडगे का जन्म 23 फरवरी, 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के अंजनगांव सुरजी तालुका के शेड्गाओ ग्राम में एक धोबी परिवार में हुआ था. गाडगे महाराज एक घूमते फिरते सामाजिक शिक्षक थे. वे पैरों में फटी हुई चप्पल और सिर पर मिट्टी का कटोरा ढककर पैदल ही यात्रा किया करते थे और यही उनकी पहचान थी. जब वे किसी गांव में प्रवेश करते थे तो गाडगे महाराज तुरंत ही गटर और रास्तों को साफ़ करने लगते और काम खत्म होने के बाद वे खुद लोगों को गांव के साफ़ होने की बधाई भी देते थे.
सन्त गाडगे महाराज जो कहते थे कि शिक्षा बड़ी चीज है. पैसे की तंगी हो तो खाने के बर्तन बेच दो, औरत के लिए कम दाम के कपड़े खरीदो, टूटे-फूटे मकान में रहो पर बच्चों को शिक्षा दिए बिना न रहो. आधुनिक भारत को जिन महापुरूषों पर गर्व होना चाहिए, उनमें राष्ट्रीय सन्त गाडगे बाबा का नाम सर्वोपरि है. मानवता के सच्चे हितैषी थे.
गांव के लोग उन्हें पैसे भी देते थे और बाबाजी उन पैसों का उपयोग सामाजिक विकास और समाज का शारीरिक विकास करने में लगाते. लोगों से मिले हुए पैसों से महाराज गांवों में स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और जानवरों के निवास स्थान बनवाते थे. गांवों की सफाई करने के बाद शाम में वे कीर्तन का आयोजन भी करते थे और अपने कीर्तनों के समय वे लोगों को अन्धविश्वास की भावनाओं के विरुद्ध शिक्षित करते थे. अपने कीर्तनों में वे संत कबीर के दोहो का भी उपयोग करते थे.
संत गाडगे महाराज लोगों को जानवरों पर अत्याचार करने से रोकते थे और वे समाज में चल रही जातिभेद और रंगभेद की भावना को नहीं मानते थे और लोगों के इसके खिलाफ वे जागरूक करते थे और समाज में वे शराबबंदी करवाना चाहते थे. गाडगे महाराज लोगो को कठिन परिश्रम, साधारण जीवन और परोपकार की भावना का पाठ पढ़ाते थे और हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करने को कहते थे.
बाबासाहेब के व्यक्तित्व और कार्य से प्रभावित थे। पंडितपुर में डॉ। अंबेडकर द्वारा स्थापित पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी में गडगे बाबा ने अपने छात्रावास के निर्माण के लिए दान दिया था। उन्होंने लोगों को शिक्षित होने का आग्रह करते हुए अंबेडकर का उदाहरण दिया। "देखो, डॉ। बाबासाहेब अम्बेडकर सरासर परिश्रम के द्वारा कैसे एक ऐसे विद्वान व्यक्ति बने। शिक्षा किसी वर्ग या जाति का एकाधिकार नहीं है। एक गरीब आदमी का बेटा भी कई डिग्री प्राप्त कर सकता है।" गाडगे बाबा कई बार अंबेडकर से मिले थे। अम्बेडकर उनसे अक्सर मिलते थे और सामाजिक सुधार पर चर्चा करते थे। डॉ। बाबासाहेब अम्बेडकर ने उन्हें ज्योतिराव फुले के बाद लोगों का सबसे बड़ा सेवक बताया था।
उन्हें सम्मान देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने 2000-01 में ‘संत गाडगेबाबा ग्राम स्वच्छता अभियान’ की शुरुवात की और जो ग्रामवासी अपने गांवों को स्वच्छ रखते है उन्हें यह पुरस्कार दिया जाता है. महाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाज सुधारकों में से वे एक थे. भारत सरकार ने भी उनके सम्मान में कई पुरस्कार जारी किये. इतना ही नही बल्कि अमरावती यूनिवर्सिटी का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया है. संत गाडगे महाराज भारतीय इतिहास के एक महान संत थे. भारत के डाक विभाग ने गाडगे महाराज को उनके नाम पर एक स्मारक डाक टिकट जारी कर सम्मानित किया था।
20 दिसम्बर, 1956 को महाराज जी चल बसे लेकिन सबके दिलों में उनके विचार और आदर्श आज भी जिंदा हैं.
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