सप्तलोकगमनगीत (Saptaloka Gamanagīta) - Путешествие через семь миров
Автор: Max And Kate
Загружено: 2024-08-13
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Песня на санскрите, вдохновленная древними мифами, рассказывает о путешествии между семью мирами. Стихи отражают божественные аспекты путешествия, взаимодействие с небесными существами и достижения высшего блаженства.
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तस्मिन् विमाने दिव्ये शान्तिः सन्दर्शिता।
सप्तलोकमयी यात्रा मार्गे संप्रयाति।
प्रणम्यन्ते तं यत्र साधु-प्रियत्वम् आदर्शं।
मुक्तिदायकं शिवमयं पूज्यम् अपि।
स्वर्गेऽपि गत्वा च धरातले सौम्याः संप्रवृत्ता।
सर्वलोकमिलनं च तुष्टिः साकर्तुम्।
सप्तसूत्रेषु सर्वत्र सुखा संप्राप्ता।
अन्तरिक्षे दिव्य-स्वप्नं यत्र प्रकटम्।
पृष्ठपृष्ठम् अद्वितीयं यत्र सर्वं विमर्शितम्।
नक्षत्राणि महती वेदितुम् यत्र च।
मयूरपंखा सुवर्णकान्तारुपा।
सप्तवर्णाः लोकपथस्य चित्सविता।
सप्तस्वर्णपथं विहाय नगराणि स्वीकृतानि।
प्रणम्यन्ते कश्यपार्चिता दिव्यत्वम्।
वर्णशिखा सप्ततिः यत्र प्रकटता।
ध्वजधारिण्यः पुण्यलोकस्य विजयम्।
अनन्ताय च यत्र पथं साकल्यं रमणीयम्।
यत्र शिवशक्त्या बन्धुं विश्वेऽत्र गत्वा।
शिवसारथ्यं मङ्गलमयं यत्र प्रकटम्।
उज्ज्वलाति सूर्य-मयः प्रकाशयुक्तम्।
दिव्यद्रष्टिः यत्र विश्वं परिपूर्णं दृष्टम्।
लोकानां मार्गे यत्र समृद्धि संप्राप्ता।
शिवस्तु वक्ष्यामि भूतलस्य भास्करम्।
सप्तलोकं यात्रा, चिरकाल-सुखं तु।
सप्तलोकगमनं यत्र सत्यं विशिष्यं।
अर्च्यते ये यत्र सन्तानं दिव्यत्वम्।
स्वप्नसप्तालोकस्य यत्र प्रकटं लभ्यते।
सर्वलोकानुग्रहं यत्र अस्ति चरितम्।
लोकवृद्धि यत्र सप्तधातुः प्रवृत्तम्।
स्वर्गे शान्तिः निर्वाणं च तत्र प्राप्तम्।
निरवधि सुखमार्गे यत्र मार्गदर्शकः।
सप्तलोकगमनं यत्र दिव्यं तु।
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