शनि जयंती विशेष। शनिदेव व तंत्र रहस्य।
Автор: गृहस्थ तंत्र
Загружено: 2025-05-25
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ज्येष्ठ अमावस्या को भगवान सुर्य पुत्र शनिदेव की जयंती है। शनि देव को क्रुर ग्रह माना गया है। इनकी दशा अंतर्दशा हर उस जीव के लिये कष्टकारी हो जाती है जो अपने जीवन में अमर्यादित पापाचरण करता है, जो शुभ अशुभ कर्म हम करतें हैं , यह समझ लिजिए की शनिदेव के दशा में उसका फल मिलेगा। शनिदेव मंद चलतें हैं इसी कारण यह सुख और दुख दोनों बहुत धीरे धीरे ही प्रदान करतें हैं। दुःख लम्बा रहे तो कष्टकारी रहेगा ही और जब सुख देतें हैं तो शनिदेव का दिया कभी कोई छिन नहीं सकता क्योंकि यह देने से पहले आपको कुट पीटकर योग्य बना देतें हैं। जीवन के कष्ट कारी समय में जब आप संघर्ष करतें हैं तब वह संघर्ष का अनुभव आपको सजग साहसी व निर्भिक बना देता है, आपमें सुझबुझ अधिक उत्पन्न कर देता है और जब आप कुशल और योग्य बन जाते हैं तब उतरते हुये शनि देव आपको कुछ विशेष देकर जातें हैं। यह ग्रह देवता केवल कष्ट नहीं देते वरन अगर हमने अपने कष्ट के जो ज्ञात कारण हैं उन कारणों को याद कर प्रायश्चित कर लिया तो फिर क्षमा प्रदान कर कल्याणकारी गुण विकसित कर देते हैं। प्रौढ़ शिक्षा प्रौढ़ मानसिकता जिससे आप कल्याण कर सके यह अनुभव इनके समय चक्र में सही से मिलता है।
पौराणिक चरित्र अनुसार भगवान सुर्य और माता छाया के पुत्र, भगवान महाकाल के शिष्य, भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त, यमराज और मां यमुना के भ्राता हैं शनिदेव। तंत्र के क्षेत्र में शनिदेव की प्रसन्नता अनिवार्य है , मंत्र बल को असीम ढृढता और देव सान्निध्य व सिद्धि के उपरांत के नियंत्रण इनके कृपा से प्राप्त होती है।
शनि जयंती 27 मई 2025 को गृहस्थ तंत्र परिवार के द्वारा शनिदेव के परम प्रसन्नता हेतु अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है जिसमें शनि सपर्या सहित श्री महाकाल तंत्रोक्त हवन , श्री कृष्ण कष्टहरण मंत्र हवन, दीपदान आदि किया जायेगा।
शनिदेव तंत्र विद्या के लिये विशिष्ट ग्रह हैं, अभिचारिक विद्या का प्रभाव इनके कृपा से नष्ट होता है, साथ ही इनके गुरु भगवान महाकाल व इनके आराध्य भगवान श्री कृष्ण के दिव्य तंत्रोक्त व पुराणोक्त मंत्रों के हवनात्मक अनुष्ठानम् से साधक को अति दिव्य लाभ होगा। आप साधक हैं, गृहस्थ हैं, शिक्षक हैं, शनि मारकेश हों, लग्नेश हों, भाग्येश हों, हर अवस्था में शनिदेव को अपने अनुकूल व स्वयं के हेतु कृपालु बने रखने का प्रयास करना चाहिए। आज के समय में बिना शनिदेव की कृपा की आवश्यकता हम सभी को है।आप सब इनकी विशेष कृपा हेतु इस अनुष्ठान में अवश्य सम्मिलित हों। आप www.grihasthpujansamagri.com पर जाकर भर सकतें हैं। शनि जयंती के संपूर्ण आयोजन में आपका योगदान रहेगा केवल हवन में ही नहीं।
क्रुर व उग्र ग्रह शनिदेव के पूजन का प्रसाद घर नहीं ले जाना चाहिए। अतः इस अनुष्ठान का कोई प्रसाद नहीं जायेगा।
नवग्रहों में न्याय प्रदान करने वाले कर्मफल दाता को सदैव अपने अनुकूल बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए ताकी हमें सदैव शुभता प्राप्त हो।
एक फार्म में एक व्यक्ति का ही विवरण विशेष भरें।
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