Popular Dishes of Uttarakhand || उत्तराखंड के पारम्परिक भोजन
Автор: HAMRO UTTRAKHAND
Загружено: 2021-05-08
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Uttarakhand is famous for its views and for the food it offers. From main course items to sweet dish, each and every dish of Uttarakhand speaks for itself. Let’s discuss the famous food of Uttarakhand which remains as enchanting as the state itself is looked at.
Kafuli – Mouthwatering Dish
Bhang Ki Chutney – Flavorful Experience
Phaanu – Lip-smacking Delicious
Baadi – Traditional Food
Aaloo Tamatar Ka Jhol – Taste And Nutrition
Kandalee Ka Saag – Must Try Dish
Chainsoo – Delicious
Dubuk – Tasty Meal
Aloo Gutook – Excite Your Palate
Jhangora Ki Kheer – Tasty Dessert
Thhatwani – Nutritious And Flavorful
Garhwal Ka Fannah – Protein Rich Dish
Kumaoni Raita – Beat The Heat
Gulgula – Sweet Affair
Arsa – Sweet Tooth
Singori – Sweet Delicacy
1 - मडुए की रोटी - मडुए की रोटी एक प्रकार के सरसों के दाने की तरह दिखने वाली फसल से बनती है. यह कुमाऊ और गढ़वाल दोनों मंडलों में मिलती है लेकिन यह गढ़वाल की सबसे अधिक खाये जाने वाली रोटी है।
2 भांग की चटनी - भांग शब्द सुनते ही अधिकांश लोगों के दिमाग में नशे जैसा कुछ आता हो लेकिन अगर आप उत्तराखंड से हैं तो भांग से सबसे पहले आपको भांग की चटनी याद आयेगी. दुनिया जाने या न जाने उत्तराखंड का बच्चा-बच्चा जानता है भांग सिर्फ नशे के लिये ही नहीं होता है. इसके बीजों की चटनी बनती है जो दुनिया की सबसे स्वादिष्ट चटनियों में शामिल है.
भांग के पौधे के बीज भांग के फल की तरह नशा पैदा करने वाले नहीं होते हैं बल्कि ये सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं. भांग के बीजों में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होता है इसलिए इसका सेवन करना त्वचा और बालों की सुंदरता के लिए बेहद लाभकारी होता है. भांग के बीजों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स त्वचा, दिल और जोड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं.
भांग के बीजों में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है. 30 ग्राम भांग के बीजों में लगभग 9.46 ग्राम प्रोटीन होता है जो कि मसल्स के निर्माण में मददगार होते हैं. इसके बीजों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है. इसका सेवन करने से पेट भरा रहता है और बार-बार भूख नहीं लगती है.
भांग की चटनी बनाने के लिये सबसे पहले भांग के बीजों को तवे या लोहे की कड़ाही में हल्की आंच में भुना जाता है. भांग भुन जाने के लिये पहले तवा या कड़ाही को गर्म किया जाता है जब इनका रंग हल्का भूरा हो जाये तो चूल्हे से उतार दिया जाता है। फिर इन बीजों को सिलबट्टे में पीसा जाता है
पुदीने के कटे हुए पत्तों का उपयोग भांग की चटनी में खुशबू के लिये किया जाता है. इसके साथ ही इसमें कटी हुई हरी मिर्च भी पीसी जाती है. इसको पीसते समय ही इसमें नमक और मिर्च मिला दिया जाता है. हल्का दरदरा होने के बाद इसमें दो से चार चम्मच पानी डाला जाता है. सिलबट्टे में पीसने में इसमें ज्यादा समय और मेहनत लगती है लेकिन यह चटनी मिक्सी में पीसे भांग से ज्यादा स्वादिष्ट होती है.
चटनी को खट्टा बनाने के लिये कुछ लोग पहाड़ी नींबू के रस का प्रयोग करते हैं लेकिन उत्तराखंड में इसके लिये काले चूक का प्रयोग करते हैं. काला चूक दाड़िम या पहाड़ी नीबू को पका कर बनाया जाता है. काले चूक की दो-चार बूंद ही कटोरे भर भांग की चटनी को खट्टा बनने के लिये काफ़ी हैं.
भांग की चटनी को दाल-भात, आलू के गुटके, मडुवे की रोटी आदि के साथ खाया जा सकता है. भांग की चटनी का उपयोग सलाद में मूली के साथ मिलाकर भी किया जाता है.
3 - आलू के गुटके -आलू के गुटके विशेष रूप से कुमाउनी स्नेक्स हैं , इसको बनाने के लिए उबले हुए आलू को इस तरह में भूना जाता है की भुना हुआ हर टुकड़ा अलग -अलग दिखे फिर इसमें बहुत तरह के मसालों का उपयोग किया जाता है और इसमें ध्यान देने योग्य बात ये है की इसमें पानी का स्तेमाल बिलकुल नहीं किया जाता है।
इसे लाल भुनी हुई मिर्च और धनिये के पत्तों के साथ परोसा जाता है।
4. डुबुक या दुबके - डुबुक भी कुमाऊं में अक्सर खायी जाने वाली डिश है असल में यह दाल ही है लेकिन इसे दाल को दरदरा पीस कर बनाया जाता है यह भी पहाड़ी दाल भट या गहत की दाल आदि से बनाया जाता है और चावल के साथ किया जातां है।
5. कंडाली या सीसोन का साग - कुमाऊं में इसे सीसोन और गढ़वाल में इसे कंडाली कहते हैं इसके पत्तों को सीधे छूने पर बिच्छू के डंस की तरह असहनीय दर्द होता है इसीलिए इसे आम बोलचाल में लोग बिच्छू घास के नाम से भी जानते हैं गांव देहात की अनुभवी औरतें इसे हाथ में कपडा लपेटकर बहुत सावधानी से काटती है फिर इसके पत्तों को उबालकर पकाया जाता है और चावल और रोटी के साथ खाया जाता है इसे खासकर सर्दियों में खाया जाता है क्योंकि इसे खाने पर शरीर में सर्दी का एहसास होता है।
7. कुमाउनी रायता - कुमाउनी रायता देशभर में मिलने वाले विभिन्न प्रकार के रायतों से अलग होता है इसमें बड़ी मात्रा में पहाड़ी ककड़ी, सरसों के दाने, हरी मिर्च , हल्दी पाउडर धनिये के पत्तों का स्तेमाल होता है, इस रायते को खास बनाती है छानी हुई छाछ..... अगर छानी हुई छाछ उपलब्ध न हो तो उसे दही के साथ भी बनाया जा सकता है।
8. बाल मिठाई - बाल मिठाई कुमाऊं की प्रसिद्ध मिठाई है और अल्मोड़ा जिले की बाल मिठाई तो देश भर के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है। पहाड़ों से मैदानों की ओर जाने वाले लोग अपने साथ बाल मिठाई ले जाना नहीं भूलते. एक बार जो इस बाल मिठाई का स्वाद ले लेता है अगली बार वह स्वयं ही बाल मिठाई मगवाते हैं। यह मिठाई स्वादिष्ट होने के साथ साथ पोस्टिक भी होती है इसको बनाने में खोये के साथ साथ शुगर बॉल का भी स्तेमाल होता है
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