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प्रह्लाद और होलिका की पौराणिक कथा | होली का त्यौहार क्यों मनाते हैं?

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Автор: Gurish Studio

Загружено: 2025-03-09

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Описание: प्रह्लाद और होलिका की पौराणिक कथा | होली का त्यौहार क्यों मनाते हैं?
प्रस्तुत वीडियो में हम होली के त्योहार से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा को दिखा रहे हैं। यह कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका की कहानी है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। असुर राजा हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से ऐसा वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई साधारण प्राणी या हथियार मार नहीं सकता था। इस वरदान के कारण वह अत्यंत अहंकारी और अत्याचारी बन गया। हिरण्यकश्यप चाहता था कि सब लोग केवल उसी की पूजा करें और कोई भगवान विष्णु का नाम भी न ले। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद शुरू से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसने विष्णु-भक्ति कभी नहीं छोड़ी। प्रह्लाद की अटल श्रद्धा से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के कई प्रयास किए – ऊँची पहाड़ी से धक्का देना, हाथियों से कुचलवाना, विषैले साँपों के बीच छोड़ना – परंतु हर बार भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को एक भयानक योजना के लिए बुलाया। होलिका को वरदान स्वरूप एक दिव्य वस्त्र प्राप्त था, जो आग में उसे सुरक्षित रख सकता था। योजना यह थी कि होलिका उस वस्त्र को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती चिता पर बैठेगी। उस भयावह रात, होलिका प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की लीला देखिए – प्रह्लाद शांत भाव से नारायण का स्मरण करता रहा और अचानक वह दिव्य वस्त्र होलिका के शरीर से उड़कर प्रह्लाद पर आ गिरा। परिणामस्वरूप प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ और होलिका खुद आग की लपटों में जलकर भस्म हो गई। इस चमत्कार से पूरा राज्य दंग रह गया। यह घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बन गई। तभी से होली के पर्व से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई, जब लोग लकड़ियों का विशाल ढेर (होली) जलाकर होलिका के अंत की याद में उत्सव मनाते हैं। अगले दिन रंगों के त्योहार होली पर सब एक-दूसरे को रंग लगाकर प्रभु की कृपा और सत्य की जीत की खुशियाँ मनाते हैं। अंततः भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का संहार किया, जिससे प्रह्लाद और धर्म की पूर्ण विजय हुई। इस प्रकार भक्त प्रह्लाद की आस्था ने अधर्म को परास्त किया और यही वजह है कि हम हर वर्ष होली का त्योहार उल्लास से मनाते हैं। होलिका दहन की यह पौराणिक कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। आशा है, आपको यह कथा ज्ञानवर्धक और रोचक लगेगी। वीडियो को अंत तक ज़रूर देखें और जानें कि क्यों हम हर वर्ष होली पर बुराई के अंत का यह उत्सव मनाते हैं! ✨

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प्रह्लाद और होलिका की पौराणिक कथा | होली का त्यौहार क्यों मनाते हैं?

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