Guru Purnima 2025 Date: 10 या 11 जुलाई कब है गुरु पूर्णिमा? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Автор: Dr.Kaushlendra Bajpai
Загружено: 2025-07-07
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Guru Purnima 2025 Date: 10 या 11 जुलाई कब है गुरु पूर्णिमा? जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व[
गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं एवं शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। सनातन धर्म में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है और गुरुओं को समर्पित एक प्रसिद्ध त्यौहार है गुरु पूर्णिमा। हिन्दू धर्म के साथ-साथ बौद्ध व जैन धर्म के लोग गुरु पूर्णिमा के उत्सव को हर्षोउल्लास से मनाते है। गुरु पूर्णिमा में गुरु शब्द का अर्थ शिक्षक से है।
"गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्यों द्वारा अपने गुरु के प्रति आस्था को प्रकट किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन विधिवत रूप से गुरु पूजन किया जाता है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं। सामान्य शब्दों में गुरु वह इंसान होता हैं जो ज्ञान की गंगा बहाता हैं और हमारे जीवन को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाता हैं। यह पर्व समूचे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया ज
गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत होने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए।
पूजा स्थल को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करने के बाद व्यास जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
अब व्यास जी के चित्र पर ताजे फूल या माला चढ़ाएं और इसके बाद अपने गुरु के पास जाना चाहिए।
अपने गुरु को ऊँचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए।
अब वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण करने के बाद अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा के दिन केवल गुरुओं का ही नहीं, बल्कि परिवार के सबसे बड़े सदस्य जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु तुल्य ही मानना चाहिए।
गुरु के ज्ञान से ही विद्यार्थी को विद्या की प्राप्ति होती है और उसके ज्ञान से ही अज्ञान एवं अंधकार दूर होता है।
गुरु की कृपा ही शिष्य के लिए ज्ञानवर्धक और कल्याणकारी सिद्ध होती है। संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है।
यह दिन गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ होता है।
इस दिन गुरुजनों की सेवा करना अत्यंत शुभ होता है।
शिष्यों द्वारा आध्यात्मिक गुरुओं और अकादमिक शिक्षकों को नमन और धन्यवाद करने के लिए गुरु पूर्णिमा के पर्व को मनाया जाता है। सभी गुरु अपने शिष्यों की भलाई के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देते है। हमेशा से आध्यात्मिक गुरु संसार में शिष्य और दुखी लोगों की सहायता करते आये हैं और ऐसे ही कई उदाहरण हमारे सामने मौजूद है जब गुरुओं ने अपने ज्ञान से अनेक दुखी लोगों की समस्याओं का निवारण किया है।
वैदिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण आदि साहित्यों के रचियता महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि पर हुआ था जो ऋषि पराशर के पुत्र थे।
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