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गर्भ संस्कार एवं गर्भ विज्ञान । भाग 6 । पंचकोश - क्या आपने जीवन को इस दृष्टिकोण से देखा है?

Acharya Mehulbhai

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Pranamaya Kosha

Manomaya Kosha

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Anandamaya Kosha

Автор: Acharya Mehulbhai

Загружено: 2021-07-19

Просмотров: 2556

Описание: मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य क्या है? जीवन की सार्थकता कहां पर है? विकास का परमोच्च शिखर क्या है? तृप्ति एवं आनंद की प्राप्ति किस बिंदु पर है? इन प्रश्नों के उत्तर तब मिलते हैं, इसकी अनुभूति तब होती है जब हम पंचकोश को जानते हैं। पंचकोश का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है। आयुर्वेद के ग्रंथों में, अध्यात्म के ग्रंथों में पंचकोश का विस्तृत वर्णन किया गया है। भारतीय शिक्षा का तो यह सार ही बताया गया है कि पंचकोश का विकास ही शिक्षा का फलितार्थ है। शिक्षा का उत्तम परिणाम क्या है? वह उस पंचकोश का सम विकास है। तैत्तरीय उपनिषद शिक्षा का महत्वपूर्ण उपनिषद माना जाता है। आज भी गुरु शिष्य को गुरुकुल से जब विदा देता है तो उसी की शिक्षावल्ली का पाठ होता है।
वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति । सत्यं वद । धर्मं चर । मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव ।
यह सभी जो बोध वचन आए हैं वह इसी उपनिषद से आए। आचार्य द्वारा शिष्य को विदाई के समय कहे जाने वाले वचनों का पूरा प्रसंग तैतरीय उपनिषद में वर्णित है।लेकिन उससे पहले शिष्य गुरु को क्या पढ़ाते हैं, शिष्य में उसका क्या परिणाम आता है, वह घटनाएँ भी अलग-अलग अवधि में बताई गई है तो उनमें पंचकोश का वर्णन विस्तृत रूप से आता है। उसमें कहा गया है कि पंच कोष के विकास के लिए ही गुरु का सानिध्य चाहिए। सद् ग्रंथो का अध्ययन चाहिए, विभिन्न क्रिया-कलाप चाहिए, विभिन्न प्रकार की शिक्षाएँ चाहिए - यह सब कुछ पंचकोश के विकास के लिए ही है और यह पंचकोश का विकास हो तथा पंच में से कोई भी कोषों का विकास हुआ हो, तो हम उत्क्रांति (evolution) में आगे जाते हैं। इवोल्यूशन एक बहुत बड़ा विषय है जो न्याय दर्शन और सांख्य दर्शन में वर्णित किया गया है। कैसे-कैसे जीवों का क्रम आता है वह एक तत्वज्ञान की बहुत उच्च कक्षा की बात है।

तो आइए सबसे पहले पंचकोश को जानते हैं।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:-
+916352483012
http://www.sanskrutigurukulam.com​​​

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  / mehulsanskruti  

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   / @acharyamehulbhai  

वक्ता:-
डॉ. मेहुलभाई आचार्य
दर्शनाचार्य, Ph.D. (आयुर्वेद तथा दर्शन शास्त्र)
संचालक: संस्कृति आर्य गुरुकुलम्‌, राजकोट

विडियो अच्छा लगे तो लाईक, कमेंट और शेर करना न भुले। #Ayurveda​​​

SANSKRUTI ARYA GURUKULAM
"संस्कृति संवर्धन संस्थान" 1970 से भारतीय संस्कृति के आधारभूत ग्रंथों का संरक्षण और संवर्धन करनेवाली संस्था है। "संस्कृति आर्य गुरुकुलम्‌" वैदिक आश्रम प्रणाली के अनुसार शिक्षा प्रदान करने वाला एक गुरुकुल है।
यहां बच्चों के समग्र विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कार, संस्कृतियों और परंपराओं को भी सिखाया जाता है। यहां लोगों के लिए आयुर्वेद, पंचगव्य, पंचकोश विकास, गर्भ संस्कार और भ्रूणविज्ञान, आदर्श माता-पिता, संस्कृत भाषा की कक्षाओं आदि के लिए कई संस्कृति संवर्धन के सेमिनार और पाठ्यक्रम करते हैं।
यहां बच्चों के अध्ययन और सभी कार्यक्रम मुफ्त या स्वैच्छिक अनुदान के साथ आयोजित किए जाते है ।

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गर्भ संस्कार एवं गर्भ विज्ञान । भाग 6 ।  पंचकोश - क्या आपने जीवन को इस दृष्टिकोण से देखा है?

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