आयुर्वेद में अतिबला को बल्य माना जाता है, अर्थात यह शक्ति, स्फूर्ति और जीवन शक्ति को बढ़ाता है।
Автор: DR AP GAUTAM
Загружено: 2025-09-02
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आयुर्वेद में अतिबला को बल्य माना जाता है, अर्थात यह शक्ति, स्फूर्ति और जीवन शक्ति को बढ़ाता है। इसका उपयोग चेहरे के पक्षाघात और जोड़ों के विकारों में किया जाता है। इसे गर्भाशय टॉनिक और कामोद्दीपक के रूप में भी जाना जाता है।
अतिबला के लाभ अतिबला घावों को शीघ्र भरने में मदद करती है, सूजन कम करती है और त्वचा की सामान्य बनावट को वापस लाती है। अतिबला चूर्ण और नारियल तेल का लेप अपने रोपन (उपचार) और सीता (शीत) गुणों के कारण शीघ्र उपचार और सूजन कम करने में मदद करता है
अतिबला के बीज का उपयोग प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार और सूजन कम करने के लिए किया जाता है। इसके लिए, बीजों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार 1-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।
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चूर्ण: अतिबला का सेवन आप चूर्ण के रूप में भी कर सकते हैं। आप सूखी जड़ों का चूर्ण बनाकर एक चम्मच यानी 3-5 ग्राम दूध या शहद के साथ ले सकते हैं। तेल: अतिबला का इस्तेमाल आप तेल के रूप में भी कर सकते हैं, जो जोड़ों के दर्द, सूजन या नर्व सिस्टम से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
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