gajar ki kheti se lakhon ki kamai, carrot farming, gajar ki kheti kaise karen, गाजर की खेती कैसे करे
Автор: khet kisan
Загружено: 2022-01-22
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खेत की तैयारी
दो तीन बार हरो से जुताई करें उसके बाद गहरा कल्टीवेटर लगाएं कुल चार पांच बार जुताई करें और हर बार पाटा अवश्य लगाएं ताकि जमीन भुरभुरी हो जाए और गाजर सीधी नीचे बैठ सकें
बुवाई का समय (Time of sowing)
मैदानी इलाकों में एशियाई क़िस्मों की बुवाई 15 अगस्त से अक्टूबर तक और यूरोपियन क़िस्मों की बुवाई अक्टूबर से नवम्बर से करते हैं.
बीज की मात्रा (Seed quantity)
एक हेक्टेअर क्षेत्र के लिए 2.5 से 4 कि०ग्रा० बीज की आवश्यकता पड़ती है.
बुवाई और दूरी (Sowing and distance)
इसकी बुआई में 30-45से०मी० की दूरी पर मेंड पर करते हैं.
निराई-गुड़ाई व सिंचाई (Weeding and irrigation)
बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. पहली सिंचाई बिजाई के तुरंत बाद। दूसरी 4 दिन बाद फिर उगने के तुरन्त बाद करें. शुरू में 8-10 दिन के अन्तर पर तथा बाद के 12-15 दिन के अन्तर पर सिंचाई करें.। कुल 4 से 5 सिचाई करनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण (weed control)
गाजर कि फसल के साथ अनेक खरपतवार उग आते है , जो भूमि में नमी और पोषक तत्व लेते है । 21 वे दिन स्प्रे करना चाहिए । एक बार निराई करवानी चाहिए।
खुदाई एवं पैदावार (Digging and production)
गाजर की जड़ों की खुदाई तब करनी चाहिए जब वे पूरी तरह विकसित हो जाए. जो लगभग 3 से 4 महीने में करनी चाहिए। खेत में खुदाई के समय पर्याप्त नमी होनी चाहिए. जड़ों की खुदाई फरवरी में करनी चाहिए. बाजार भेजने से पूर्व जड़ों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए.
इसकी पैदावार क़िस्म पर निर्भर करती है. एसियाटिक क़िस्में अधिक उत्पादन देती है. पूसा क़िस्म की पैदावार लगभग 300-350 क्विंटल प्रति हेक्टेअर, पूसा मेधाली 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेअर जबकि नैन्टिस क़िस्म की पैदावार 100-112 क्विंटल प्रति हेक्टेअर होती है.
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