संत सूरदास के पद हिंदी व्याख्या के साथ -21
Автор: Bolti Shayri (बोलती शायरी)
Загружено: 2025-06-10
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चोरि माखन खात चली ब्रज घर घरनि यह बात।
नंद सुत संग सखा लीन्हें चोरि माखन खात।।
कोउ कहति मेरे भवन भीतर अबहिं पैठे धाइ।
.कोउ कहति मोहिं देखि द्वारें उतहिं गए पराइ।।
कोउ कहति किहि भांति हरि कों देखौं अपने धाम।
हेरि माखन देउं आछो खाइ जितनो स्याम।।
कोउ कहति मैं देखि पाऊं भरि धरौं अंकवारि।
कोउ कहति मैं बांधि राखों को सकैं निरवारि।।
सूर प्रभु के मिलन कारन करति बुद्धि विचार।
जोरि कर बिधि को मनावतिं पुरुष नंदकुमार।।
पूरे ब्रज में यह बात फैल गई है, कि कृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर माखन चोरी करके खाते हैं। पूरे गांव में इसी बात की चर्चा हो रही है कि नंद पुत्र श्री कृष्ण वह दूसरों के घर से माखन चुराते हैं। सभी गोपियां एक साथ मिलकर यह चर्चा कर रहे हैं। तभी एक सखी कहती है, कि मैंने अभी-अभी कान्हा को अपने घर में देखा। दूसरी करती है की कृष्ण मेरे घर में प्रवेश कर रहे थे लेकिन मुझे द्वार पर खड़े देख भाग गए। एक गोपी कहती है कि यदि श्री कृष्ण मुझे मिल जाए, तो मैं जीवन भर उन्हें स्वादिष्ट माखन खिलाऊं जितना वे सेवन कर सकें। सभी ग्वालिन कहती है कि यदि कृष्ण उन्हें मिल जाए तो वह उसे कहीं जाने नहीं देगी सदैव अपने घर में रखेगी। अन्य सखियां यह भी कहती है, कि यदि कृष्ण मेरे हाथ लग जाए तो मैं उन्हें बांधकर अपने पास रख लूंगी। उनकी झलक पाने के लिए भी गोपियां व्याकुल रहती हैं। ब्रज की गोपियां नंद पुत्र नन्हे श्रीकृष्ण को हाथ जोड़कर अपने पति रूप में स्वीकार करने के लिए भी तैयार है।
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