चार बड़े फ़रिश्तों जिब्राईल, मीकाईल, इज़राईल, और इस्राफ़ील में सबसे ज़्यादा फ़ज़ीलत हासिल है.
Автор: Wafaa Aur Jannat
Загружено: 2025-12-16
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🕊️ हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम:-
हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला के सबसे मुक़र्रब (निकटतम) और अज़ीमुश्शान (महान) फ़रिश्तों में से हैं। उन्हें सैयद-उल-मलायका यानी फ़रिश्तों का सरदार भी कहा जाता है।
🔹 मुख्य ज़िम्मेदारी (फर्ज़)
आपका सबसे बड़ा और अहम फ़र्ज़ अम्बिया (पैगम्बरों) और रसूलों के पास अल्लाह तआला का पैग़ाम (वही) पहुँचाना रहा है। इसीलिए आपको रूह-उल-क़ुदुस (पाकीज़ा रूह) और रूह-उल-अमीन (अमानतदार रूह) भी कहा जाता है।
📖 क़ुरआन और हदीस की रौशनी में
क़ुरआन करीम और अहादीस (हदीस की जमा) में हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम का ज़िक्र कई जगह आया है, जो आपकी अज़्मत (महानता) को ज़ाहिर करता है:
वही (Revelation) लाना: आप ही वह फ़रिश्ता हैं जो अल्लाह का कलाम यानी क़ुरआन करीम हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक लेकर आए। क़ुरआन में आया है कि जिसने जिब्राईल से दुश्मनी की, तो अल्लाह उसका दुश्मन है, क्योंकि वह अल्लाह के हुक्म से ही वही लाते हैं।
असली सूरत: हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आपको आपकी असली सूरत में दो बार देखा था। एक बार मक्का के अज्याद में और दूसरी बार मेराज (Me'raj) के दौरान सिदरतुल-मुंतहा के पास। आपकी असली सूरत इतनी अज़ीम है कि आपके 600 पर हैं, और आपका सिर्फ एक पर पूरब से पश्चिम तक के उफक़ (क्षितिज) को ढाँप लेता है।
अल्लाह का ख़ौफ़: हदीस के मुताबिक, आप अल्लाह के ख़ौफ़ से इस कदर लरज़ते (काँपते) थे कि जैसे आप चमड़े की तह हों। यह अल्लाह की अज़्मत (महानता) का इज़हार है।
मदद: आप कई मौकों पर अल्लाह के हुक्म से नबियों और रसूलों की मदद के लिए नाज़िल हुए। मिसाल के तौर पर:
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को आग में डाले जाने के वक़्त।
हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को कुँए में डाले जाने के वक़्त।
जंग-ए-बद्र और दीगर जंगों में मुसलमानों की मदद के लिए।
💫 दीगर महत्वपूर्ण तथ्य
तमाम फ़रिश्तों में अफ़ज़ल: आपको चार बड़े फ़रिश्तों (जिब्राईल, मीकाईल, इज़राईल, और इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम) में सबसे ज़्यादा फ़ज़ीलत (श्रेष्ठता) हासिल है।
रफ़्तार: आपकी रफ़्तार बेइन्तिहा (असीमित) तेज़ है। कहा जाता है कि आप अर्श-ए-इलाही से पलक झपकने से भी कम वक़्त में ज़मीन तक पहुँच जाते थे।
इंसानी शक्ल: आप अक्सर हज़रत दिहया कल्बी रज़िअल्लाह अन्हु की सूरत में या किसी अजनबी शख्स की शक्ल में इंसानों के पास आते थे, जैसा कि हदीस-ए-जिब्राईल (जिसमें उन्होंने इस्लाम, ईमान और एहसान के बारे में सवालात किए थे) में ज़िक्र है।
आप अल्लाह तआला की क़ुदरत (शक्ति) और अज़्मत (महानता) की एक निशानी हैं।
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