मेवाड़ का इतिहास रतन सिंह और पद्मिनी।
Автор: samriddhi Coaching Classes itawa
Загружено: 2023-10-05
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बप्पा रावल के वंश के अंतिम शासक रावल रत्नसिंह 'रावल समरसिंह' के पुत्र थे तथा तेरहवीं शताब्दी के बिल्कुल आरंभिक वर्षों में चित्तौर की राजगद्दी पर बैठे थे। इनकी विशेष ख्याति हिन्दी के महाकाव्य पद्मावत में राजा रतनसेन के नाम से रही है। कुछ इतिहासकार इनका सिंहासनारोहण 1301ई० में मानते हैं[1] तो कुछ 1302 ई० में।[2] इनकी पत्नी इतिहास-प्रसिद्ध रानी पद्मिनी या पद्मावती थी। 1303 ई० में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण से परिवार तथा शासन सहित ये भी नष्ट हो गये। प्रायः 1 वर्ष का ही शासन काल होने तथा इनके साथ ही इनके वंश का अंत हो जाने से पश्चात्कालीन भाटों की गाथाओं में इनका नाम ही लुप्त हो गया था। यहाँ तक कि इन्हीं स्रोतों पर मुख्यतः आधारित होने के कारण कर्नल टॉड के सुप्रसिद्ध राजस्थान के इतिहास संबंधी ग्रंथ में भी इनका नाम तक नहीं दिया गया है। उनके स्थान पर अत्यंत भ्रामक रूप से भीमसिंह से इनकी पत्नी रानी पद्मिनी का संबंध जोड़ा गया है।[3]
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