दुर्गा बनाम महिषासुर—यह लड़ाई आज भी चल रही है! || आचार्य प्रशांत, दुर्गासप्तशती द्वितीय चरित्र
Автор: शास्त्रज्ञान
Загружено: 2025-09-24
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वीडियो जानकारी: 17.10.23, नवरात्रि सत्र, ग्रेटर नॉएडा
Title: दुर्गा बनाम महिषासुर—यह लड़ाई आज भी चल रही है! || आचार्य प्रशांत, दुर्गासप्तशती द्वितीय चरित्र (2023)
विवरण:
आचार्य जी दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी द्वारा महिषासुर वध) को आज के जीवन से जोड़कर समझाते हैं। वे बताते हैं कि असुर कोई कार्टून जैसा पात्र नहीं, बल्कि भोग-कामना की मानसिकता है—खनन, वनों की कटाई, पशु-हत्या, नदियों और पर्वतों से छेड़छाड़—ये सब महिषासुर के ही रूप हैं।
देवी का क्रोध सत्य-रक्षा के लिए पवित्र है, जबकि कामना-प्रेरित तपस्या भी असुरी हो सकती है। गीता का निष्काम कर्म, तीन गुणों (सत्त्व, रजस, तमस) का समर्पण, अहंकार-त्याग और “माँ” के महामाया तथा महादेवी रूपों की गहन व्याख्या इस चरित्र में सामने आती है।
अंत में, आचार्य जी दिखाते हैं कि मानव-केंद्रित उपभोग और हिंसा (विशेषकर पशु-हत्या) ही आज की आपदाओं—जलवायु संकट, युद्ध-वृत्ति और मानसिक असंतुलन—का मूल कारण हैं।
संदेश स्पष्ट है: प्रकृति भोग की वस्तु नहीं; सत्य के प्रति समर्पण ही मुक्ति का मार्ग है।
संगीत: मिलिंद दाते
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