गंगा आरती भारत की प्राचीनतम पवित्र धार्मिक परंपराओं में से हैमाँ गंगा के प्रति श्रद्धा, भक्ति आभार
Автор: Kiran Jhawa
Загружено: 2025-11-06
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🌼 गंगा आरती का विवरण (Description of Ganga Aarti) 🌼
गंगा आरती भारत की प्राचीनतम और सबसे पवित्र धार्मिक परंपराओं में से एक है। यह आरती माँ गंगा के प्रति श्रद्धा, भक्ति और आभार की अभिव्यक्ति है। गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है — वह जीवनदायिनी, पाप-हारिणी और मोक्षदायिनी है।
गंगा आरती आमतौर पर सांझ के समय सूर्यास्त के बाद घाटों पर की जाती है — जैसे वाराणसी के दशाश्वमेध घाट, हरिद्वार का हर की पौड़ी, और ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट।
आरती के समय पूरा वातावरण दिव्यता से भर उठता है —
घंटियों की मधुर ध्वनि, शंखनाद, दीपों की लौ, और भक्तों की गूंजती हुई आवाज़ें वातावरण को पवित्र कर देती हैं।
पंडितगण या आरती करने वाले पुरोहित दीपमालाएं जलाकर माँ गंगा की आराधना करते हैं। वे जल, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करते हुए प्रार्थना करते हैं कि गंगा की निर्मल धारा सदैव मानवता को पवित्र और जीवन्त बनाए रखे।
जब आरती की लौ लहराती है और गंगा की लहरों में उसका प्रतिबिंब झिलमिलाता है, तब ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग पृथ्वी पर उतर आया हो।
यह दृश्य न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के बीच के पवित्र संबंध की भी झलक देता है।
गंगा आरती हमें यह सिखाती है कि जल, प्रकृति और जीवन — सब एक दूसरे से जुड़े हैं, और इनका सम्मान करना ही सच्ची पूजा है। आरती भारत की प्राचीनतम और सबसे पवित्र धार्मिक परंपराओं में से एक है। यह आरती माँ गंगा के प्रति श्रद्धा, भक्ति और आभार की अभिव्यक्ति है।
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