पूर्णिमा व्रत कथा | Purnima vrat katha | purnima ki katha; puranmashi vrat katha; पूर्णमासी व्रत कथा
Автор: Smunni TV Dharmik Stories
Загружено: 2020-04-07
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आज मैं आप सबके समक्ष अति पुण्य दायिनी समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली तथा सौभाग्य प्रदान करने वाली पूर्णमासी ( पूर्णिमा ) की कथा प्रस्तुत करने जा रही हूं। इस व्रत को करने के लिए प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर घर को शुद्ध करने के बाद स्नान करना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में शिव जी भगवान व माता पार्वती की फोटो को साफ कर उसके आगे आटे का दीपक जलाना चाहिए फिर पूरब दिशा की ओर मुख करके दाहिने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए। उसके बाद गणेश जी का आवाहन करना चाहिए फिर समस्त देवी देवताओं का आवाहन करके पूजन करना चाहिए । फिर भगवान शिव शंकर, माता पार्वती व समस्त देवी देवताओं को धूप, दीप,बिल्वपत्र,दूध, दही, हल्दी, कुमकुम, चंदन, अक्षत ,फूल, नारियल ,ऋतुफल, तांबूल, सुपारी, दक्षिणा द्रव्य आदि चढ़ाएं और पूर्णमासी की कथा सुने। कथा सुनने के पश्चात कपूर से भगवान की आरती करनी चाहिए।
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