Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी कब है? तिल से करें ये अचूक उपाय |
Автор: The Wise Hindu
Загружено: 2024-02-05
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' यज्ञदानतपः कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत '
श्रीमद्भगद्गीता में भगवान् श्री कृष्ण के ये वचन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यज्ञ, दान और तपरूप कर्म किसी भी स्थिति में त्यागने योग्य नहीं हैं, अपितु कर्तव्यरूप में इन्हें अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों में ' तप ' के अन्तर्गत व्रतों की महिमा बताई गयी है। सामान्यतः व्रतों में सर्वोपरि एकादशी-व्रत कहा गया है। जैसे नदियों में गंगा, प्रकाशक तत्वों में सूर्य, देवताओं में भगवान् विष्णु की प्रधानता है, वैसे ही व्रतों में एकादशी व्रत की प्रधानता है। एकादशी व्रत के करने से सभी रोग-दोष शान्त होकर लम्बी आयु, सुख-शान्ति और समृद्धि की प्राप्ति के साथ ही मनुष्य-जीवन का उद्देश्य ' भगवद्प्राप्ति ' भी होती है।
दोनों पक्षों की एकादशी में भोजन नहीं करना चाहिए। शास्त्रकारों ने व्रत का स्तर स्थापित किया है। अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार जो संभव हो करना चाहिए -
१. निर्जल व्रत
२. उपवास व्रत
३. केवल एक बार अन्नरहित दुग्धादि पेय पदार्थ का ग्रहण
४. नक्त व्रत - दिनभर उपवास रखकर रात्रि में फलाहार करना
५. एकभुक्त व्रत - किसी भी समय एक बार फलाहार करना
अशक्त, वृद्ध, बालक और रोगी को भी, जो व्रत न कर सकें, यथासंभव अन्न-आहार का परित्याग तो एकादशी के दिन करना ही चाहिए।
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