आंवला के चमत्कारी फायदे | Amazing Benefits of Amla | Gooseberry Benefits | Superfood | सात्विक जीवन
Автор: Satvik Jivan
Загружено: 2023-12-31
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हरि ॐ
सात्विक जीवन में आपका स्वागत है!!
आज हम जानेंगे आमलकी के स्वास्थ्यवर्धक प्रभावों के बारे में, किस प्रकार से आंवले का दैनिक प्रयोग किया जा सकता है,
और वर्तमान समय में आंवला उपयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखना है ! तो आइए सबसे पहले जानेंगे आमलकी के वय स्थापक गुण के बारे में.
शास्त्रों में लिखे सूत्रों का अर्थ केवल उनके शाब्दिक अर्थ तक सीमित नहीं होता। वयःस्थापन का शब्दिक अर्थ उम्र को स्थिर करना है. लेकिन इसका वास्तविक निहित भाव यह है कि, आंवला के निरंतर सेवन से आयु-आधारित-व्याधिजनन यानी उमर से जुड़े हुए रोग कम होती है।
दूसरे अर्थ में वयः स्थापन का अर्थ युवावस्था को लंबे समय तक बनाये रखना शरीर की कान्तिवान और पुष्ट बनाएं रखने से है।आधुनिक शोध पत्रों यानी रिसर्च के अनुसार आंवला फ्री-रेडीकल स्केवेंजिंग के द्वारा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में और एन्टीइन्फ्लेमेटरी प्रभाव होने के कारण अर्ली ऐजिंग रोकने में सहायक है ।
हरीतकीसमं धात्रीफलं किन्तु विशेषतः। रक्तपित्तप्रमेहघ्नं परं वृष्यं रसायनम्।।
हन्ति वातं तदम्लत्वात्पित्तं माधुर्यशैत्यतः।
कफं रूक्षकषायत्वात्फलं धात्र्यास्त्रिदोषजित्।।
शास्त्रों के अनुसार आँवला विशेषकर मधुमेह, रक्त और पित्त संबंधित विकारों को नष्ट करता है। आंवला अपने अम्ल रस व शीत वीर्य से वात का शमन और शुष्कता और कषाय रस के द्वारा कफ शमन करता है। इस प्रकार आंवला शरीर में तीनो दोषों को कम करता है।
सामान्य रूप से आमलकी भूख बढ़ाने, अपच, कब्ज दूर करने, आंखो को स्वस्थ रखने, केश वृद्धि के लिए और अच्छी त्वचा के लिए उपयोगी है।
आर्युवेदिक ग्रंथ अष्टांग हृदय के रचयिता आचार्य वाग्भट ने आमलक रसायन का वर्णन करते हुये लिखा है (अ.हृ.उ. 39.149): धात्रीरसक्षौद्र सिताघृतानि हिताशनानां लिहतां नराणाम्।
आमले का रस, शहद, खण्ड, तथा घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से आयु-जन्य-विकार शरीर से नष्ट होते है।
इसलिए आंवला को धात्री फल भी कहा जाता है, क्युकी है यह धात्री की तरह ही मनुष्य के प्राणों कि रक्षा करती हैं ।
यही कारण है कि आमलकी न केवल औषधि एवं रसायन के रूप में आयुर्वेद में सदैव प्रयुक्त होता आया है, बल्कि आहार का भी महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, आंवला विभिन्न रूपों में हम दैनिक जीवन में प्रयोग कर सकते है, जैसे मुरब्बा, आंवला कैंडी, आंवला टैबलेट्स, आंवला जैम, च्यवनप्राश और आंवला चूर्ण।
वर्तमान समय में आंवला सेवन से संबंधित कुछ बातों का ध्यान रखना भी महत्त्वपूर्ण है, पहला यह कि, आमलकी के रस का उपयोग जहाँ तक संभव हो ताजा ही करे।पैक्ड आंवला रस या जूस में प्रिजर्वेटिव्स के उपयोग कारण गुणवत्ता में कमी आती है।
आवला चूर्ण का उपयोग करना चाहते है तो चूर्ण बनने के 6 माह के भीतर ही उसका उपयोग करे, आयुर्वेद सिद्धांतो के अनुसार 6 माह तक ही चूर्ण की गुणवत्ता रहती है ।
यदि आप आँवले का औषधि के रूप में प्रयोग करना चाहते हैं तो अपने आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य करें।
आयुर्वेद का ऐसा कोई ग्रन्थ नहीं जिसने आमलकी को एक उच्चकोटि का भोजन, प्रभावी रसायन और महत्वपूर्ण औषधि के रूप में मान्यता न दी हो। नित्य आमलकी को किसी न किसी तरीके से भोजन में सेवन करते रहिए और स्वस्थ रहिए।
हमें आशा है के आज की इस वीडियो के माध्यम से दी गई जानकारी आप सब के लिये लाभकारी होगी। स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें। दिव्य शक्ति की कृपा हम सब पर बनी रहे। हरी ॐ तत् सत्।
श्रेय:
डॉ. नेहल शर्मा
आयुर्वेदिक चिकित्सक
Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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