দ্রৌপদীর বস্ত্রহরণ কেন হয়েছিল।Truth of draupadi।Why did krishna allow draupadi vastraharan। মহাভারত
Автор: BONG MYTHOLOGER
Загружено: 2024-09-11
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দ্রৌপদীর বস্ত্রহরণ কেন হয়েছিল।Truth of draupadi।Why did krishna allow draupadi vastraharan। মহাভারত
द्रोपदी की अनसुनी कहानी || क्यों हुआ महाभारत मै द्रोपदी का चीर हरण ? || Mahabharat
द्रौपदी महाभारत के सबसे प्रसिद्ध पात्रों में से एक है। द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रोपद की पुत्री है जो बाद में पांचों पाण्डवों की पत्नी बनी। द्रौपदी पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता है। ये कृष्णा, यज्ञसेनी, महाभारती, सैरंध्री अदि अन्य नामो से भी विख्यात है। द्रोपदी श्रापवश दुर्गा की अवतार थी जो अपना कर्म भोगने यहाँ आई थी।
एक बार दुर्योधन उस शीशमहल को देखने के लिए चला गया और द्रौपदी वहीं पर थी। महल कांच के होने के कारण पारदर्शी था आगे रास्ता पता नहीं चला और दुर्योधन कांच से टकरा गया और गिरते गिरते बचा।
तब द्रोपदी ने दुर्योधन की यह दशा देखकर मजाक में बोला कि अंधे की संतान अंधी ही होती है।
द्रोपदी ने यह बात मजाक में बोली थी लेकिन दुर्योधन के यह बात अंदर तक घर कर गई और उसने इसका प्रतिशोध लेने की सोची।
और एक बार दुर्योधन ने युधिष्ठिर के साथ जुआ खेला और युधिष्ठिर को हराकर सारा राज भी ले लिया। युधिष्ठिर ने द्रोपदी को भी दांव पर लगा दिया। दुर्योधन ने द्रोपदी को भी जीत लिया।
और दुर्योधन ने कहा कि द्रोपदी को लेकर आओ और यहां पर नंगा करके मेरे जांघ पर बिठाओ।
यह बात सुनकर एक नौकरानी भागकर द्रोपदी के पास गई और सब कुछ बताया।
दुर्योधन ने कहा कि उसने मुझे अंधे की संतान कहा था और हम अंधे की संतान है हमें कुछ दिखाई नहीं देता उसको क्या शर्म आएगी। उसको नग्न करो मेरे सामने।
फिर कुछ देर बाद द्रोपदी को वहां भरी सभा में लाया गया और मलिन विचारों से युक्त दुर्योधन ने कहा कि इसका चीर उतार दो।
भरी सभा में पांचो पांडव भी उपस्थित थे और भीष्म, गुरू द्रोणाचार्यऔर कर्ण ये तीनों एक नंबर के योद्धा थे लेकिन जब द्रोपदी का चीर उतारा जा रहा था तब इन तीनों में से किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कि उसको रोक सके। द्रोपदी ने अपनी रक्षा के लिए सभी से पुकार की लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
उसी समय कबीर परमेश्वर जी सूक्ष्म रूप में द्रोपदी के सिर पर कमल के फूल पर विराजमान हो गए। और द्रोपदी का चीर बड़ा दिया जिससे उसकी ईज्जत की रक्षा हुई। लेकिन निमित श्री कृष्ण जी को बनाया ताकि परमात्मा में आस्था मानव की बनी रहे। काल चाहता है कि मानव गलत साधना करे। उससे उसको कोई लाभ न हो। नास्तिक हो जाए। अंधा बाबा की भूमिका भी स्वयं परमात्मा कबीर जी ने की थी। जिस कारण से उस साड़ी के कपड़े के टुकड़े का इतना अधिक फल मिला। यदि कबीर परमात्मा द्रोपदी की सहायता न करते तो द्रोपदी नंगी हो जाती। परमात्मा कबीर जी ने परमात्मा में आस्था बनाए रखने के लिए यह अनहोनी करनी थी। द्रोपदी के चीर को बढ़ाकर विश्व विख्यात चमत्कार कर दिया जिससे आज तक परमात्मा का गुणगान हो रहा है।
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