4 जीवन कैसा होता है या आध्यात्मिक व्यक्ति में कौन कौन से लक्षण होते हैं सुनिए
Автор: Vimal vaidehi
Загружено: 2020-06-30
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4 जीवन कैसा होता है या आध्यात्मिक व्यक्ति में कौन कौन से लक्षण होते हैं सुनिए ...स्वामी शान्तानन्द जी सरस्वती के इस प्रवचन में
प्रश्न - आध्यात्मिक जीवन क्या है ?
क्या केवल विशेष धार्मिक चिह्नों को धारण कर लेना ही आध्यात्मिक जीवन का लक्षण है ?
उत्तर - नहीं । केवल धार्मिक चिह्नों से ही किसी का जीवन आध्यात्मिक नहीं बन जाता है अपितु आध्यात्मिक जीवन का लक्षण है .....
👉जहां सबके साथ मिलकर रहते हुए व प्रेम पूर्वक मधुर वाणी व्यवहार का प्रयोग करते हुए स्वयं खुश रहना व अन्यों को खुश रखना होता है ।
👉 जहां हवन सत्संग भजन स्वाध्याय सेवा साधना (योगाभ्यास ) परोपकार करते हुए । कल्याणकारी जीवन बनाना होता है।
👉 जहां सरलता विनम्रता सहनशीलता दयालुता मधुरता निरभिमानता निष्कामता आदि गुणों को धारण करते हुए ईश्वर की ओर बढ़ना और बढ़ाना होता है ।
👉 जहां सुख- दुःख ,मान- अपमान , हानि- लाभ , अनुकूल- प्रतिकूल कोई भी स्थिति आए सब स्थिति में शान्त प्रसन्न रहते हुए हताश निराश हुए बिना आशावादी बनकर उत्साह पूर्वक अपने कर्त्तव्य कर्म पर आरूढ़ रहना होता है ।
👉 जहां मातृ भक्ति , पितृ भक्ति , गुरु भक्ति ,राष्ट्र भक्ति एवं ईश्वर भक्ति आदि से स्वयं को सुशोभित करते हुए आदर्श व्यक्तित्व बनाना होता है ।
👉 जहां रजोगुण और तमोगुण को दबाकर रखते हुए सत्वगुण को उभारकर चलना होता है ।
👉 जहां राग द्वेष को छोड़ कर सबके अन्दर ईश्वर की सत्ता को देखते हुए भौतिक विषयों से अनासक्त होकर सब कार्य करना होता है ।
👉 जहां पाप अधर्म से दूर रहते हुए व धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ना होता है।
👉 जहां हिंसक दुष्ट पापी लोगों के संग से दूर रहते हुए चलना है परन्तु निर्दोष जनता के कल्याण के लिए हिंसक आतंकवादियों , दुष्टों को दण्डित करने के लिए क्षत्रिय वर्ग को प्रेरित करना होता है।
👉 इस प्रकार आध्यात्मिक जीवन में ज्ञान , विद्या ,विवेक , वैराग्य , योग , ध्यान , धर्म से स्वयं को ओतप्रोत करते हुए अपने मुख्य लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति की ओर बढ़ना होता है एवं अन्यों को भी धर्म के पथ पर बढ़ाना होता है।
...... स्वामी शान्तानन्द सरस्वती
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