Govardhan Parikrama Mathura Vlog
Автор: Lokendra chouhan
Загружено: 2020-03-17
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उत्तर प्रदेश के धार्मिक नगरी मथुरा..जिसे हम सभी कृष्ण जन्मभूमि के नाम से भी जानते हैं। यह वही पर्वत है जहां इस पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी चींटी अंगुली पर उठा लिया था। श्रीगोवर्धन पर्वत मथुरा से 22 किमी की दूरी पर स्थित है।
गोवर्धन पर्वत को गिरिराज पर्वत भी कहा जाता है। पांच हजार साल पहले यह गोवर्धन पर्वत 30 हजार मीटर ऊंचा हुआ करता था और अब शायद 30 मीटर ही रह गया है। पुलस्त्य ऋषि के शाप के कारण यह पर्वत एक मुट्ठी रोज कम होता जा रहा है।
सदियों से यहां दूर-दूर से श्रद्धालु गिरिराज जी की परिक्रमा करने आते रहे हैं। यह 7 कोस की परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर की है। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थल आन्यौर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लोटा, दानघाटी को भी देख सकते हैं।
परिक्रमा -
परिक्रमा गोवर्धन पर्वत को लेकर भी हमारे मन में विशेष आस्था है। श्रद्धालु समय-समय पर मथुरा से कुछ ही दूरी पर मौजूद गिरिराज पर्वत की 7 कोस की कठोर परिक्रमा कर अपनी इच्छापूर्ति की कामना करते है।
परिक्रमा का महत्व -
परिक्रमा का महत्व सभी हिंदूजनों के लिए इस पर्वत की परिक्रमा का महत्व है। क्योंकि वल्लभ संप्रदाय में भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की आराधना की जाती है। जिसमें उन्होंने बाएं हाथ से गोवर्धन पर्वत उठा रखा है और उनका दायां हाथ कमर पर है।
परिक्रमा में पड़ने वाले मंदिर -
परिक्रमा में पड़ने वाले मंदिर परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थल आन्यौर, जातिपुरा, मुखार्विद मंदिर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लौठा, दानघाटी इत्यादि हैं। गोवर्धन में सुरभि गाय, ऐरावत हाथी तथा एक शिला पर भगवान कृष्ण के चरण चिह्न हैं।
राधा कुंड -
गोवर्धन पर्वत राधाकुण्ड से तीन मील दूर स्थित है। इसी के पास कुसुम सरोवर है, जो बहुत सुंदर बना हुआ है। यहाँ वज्रनाभ के पधराए हरिदेवजी थे पर औरंगजेबी काल में वह यहाँ से चले गए। पीछे से उनके स्थान पर दूसरी मूर्ति प्रतिष्ठित की गई।
मनसादेवी मंदिर -
मनसा देवी मंदिर श्री वज्रनाभ के ही पधराए हुए एकचक्रेश्वर महादेव का मंदिर है। गिरिराज के ऊपर और आसपास गोवर्द्धनगाम बसा है तथा एक मनसादेवी का मंदिर है।
मानसी गंगा -
मानसीगंगा पर गिरिराज का मुखारविन्द है, जहाँ उनका पूजन होता है तथा आषाढ़ी पूर्णिमा तथा कार्तिक की अमावस्या को मेला लगता है।
दण्डौती परिक्रमा -
यहाँ लोग दण्डौती परिक्रमा करते हैं। दण्डौती परिक्रमा इस प्रकार की जाती है कि आगे हाथ फैलाकर जमीन पर लेट जाते हैं और जहाँ तक हाथ फैलते हैं, वहाँ तक लकीर खींचकर फिर उसके आगे लेटते हैं।
साष्टांग परिक्रमा -
इसी प्रकार लेटते-लेटते या साष्टांग दण्डवत् करते-करते परिक्रमा करते हैं जो एक सप्ताह से लेकर दो सप्ताह में पूरी हो पाती है। यहाँ गोरोचन, धर्मरोचन, पापमोचन और ऋणमोचन- ये चार कुण्ड हैं तथा भरतपुर नरेश की बनवाई हुई छतिरयां तथा अन्य सुंदर इमारतें हैं।
दानरायजी का मंदिर -
गोवर्धन परिक्रमा -
मथुरा से दीघ को जाने वाली सड़क गोवर्द्धन पार करके जहाँ पर निकलती है, वह स्थान दानघाटी कहलाता है। यहाँ भगवान् दान लिया करते थे। यहाँ दानरायजी का मंदिर है। इसी गोवर्द्धन के पास 20 कोस के बीच में सारस्वतकल्प में वृंदावन था तथा इसी के आसपास यमुना बहती थी।
पर्वत के चारो ओर बसा है शहर -
पर्वत को चारों तरफ से गोवर्धन शहर और कुछ गांवों को देखा जा सकता है। जिसमें दो हिस्से छूट गए है उसे ही गिर्राज (गिरिराज) पर्वत कहा जाता है। इसके पहले हिस्से में जातिपुरा, मुखार्विद मंदिर, पूंछरी का लौठा प्रमुख स्थान है तो दूसरे हिस्से में राधाकुंड, गोविंद कुंड और मानसी गंगा प्रमुख स्थान है।
गोवेर्धन में कहां रुके?
गोवर्धन एवं जतीपुरा में परिक्रमा लगाने वाले श्रधालुयों के रुकने एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था हो जाती है।यूं तो यहां पूरे महीने ही काफी भीड़ ही रहती है, लेकिन पूर्णिमा के आस पास यह संख्या काफी बड़ जाती है।
कैसे पहुंचे गोवर्धन पर्वत?
हवाईजहाज द्वारा - गोवर्धन पर्वत जाने का नजदीकी एयरपोर्ट दिल्ली का इंद्रागाँधी एयरपोर्ट है..जहां से पर्यटक बस या गाड़ी से मथुरा होते हुए गोवर्धन पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा - गोवेर्धन का नजदीकी स्टेशन मथुरा जंक्शन है..जहां से पर्यटक टैक्सी से आसानी से गोवर्धन पर्वत पहुंच सकते हैं।
बस द्वारा - पर्यटक, श्रद्धालु बस या कार द्वारा आसानी से मथुरा वाया आगरा होते हुए गोवर्धन पहुंच सकते हैं।
गोवर्धन की मुख्य शहरों से दूरी -
दिल्ली-206 किमी
मथुरा-22 किमी
जयपुर-219 किमी
आगरा-77 किमी
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