आखिरी कैसे हुई ऋषि मार्कंडेय द्वारा महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ती...| Lord Shiva V/s Yamraaj...
Автор: Positive Tarang
Загружено: 2021-06-26
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आखिरी कैसे हुई ऋषि मार्कंडेय द्वारा महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ती...| Lord Shiva V/s Yamraaj....
भगवान शिव और यमराज के बीच क्यों हुआ विवाद
ऋषि मृकंदुजी के घर कोई संतान नहीं थी ।उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की । भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा । उन्होंने संतान मांगी । भगवान शिव ने कहा, ‘‘तुम्हारे भाग्य में संतान नहीं है । तुमने हमारी कठिन भक्ति की है इसलिए हम तुम्हें एक पुत्र देते हैं । लेकिन उसकी आयु केवल बारह वर्ष की होगी ।’’
कुछ समय के बाद उनके घर में एक पुत्र ने जन्म लिया । उसका नाम मार्कंडेय रखा । ग्यारह वर्ष व्यतीत हो गए । उनके माता- पिता उदास थे । जब मार्कंडेय ने उनसे उदासी का कारण पूछा तो पिता ने मार्कंडेय को सारा हाल बता दिया ।
माता-पिता से आज्ञा लेकर मार्कंडेय भगवान शिव की तपस्या करने चले गए । उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की । एक वर्ष तक उसका जाप करते रहे । जब वर्ष पूर्ण हो गए, तो उन्हें लेने के लिए यमराज आए । जैसे ही यमराज उनके प्राण लेने आगे बढे तो मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट गए । उसी समय भगवान शिव त्रिशूल उठाए प्रकट हुए और यमराज से कहा कि इस बालक के प्राणों को तुम नहीं ले जा सकते । हमने इस बालक को दीर्घायु प्रदान की है । यमराज ने भगवान शिव को नमन किया और वहाँ से चले गए ।
तब भगवान शिव ने मार्कंडेय को कहा, ‘तुम्हारे द्वारा लिखा गया यह मंत्र हमें अत्यंत प्रिय होगा । भविष्य में जो कोई इसका स्मरण करेगा हमारा आशीर्वाद उस पर सदैव बना रहेगा’।इस मंत्र का जप करने वाला मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है और भगवान शिव की कृपा उस पर हमेशा बनी रहती है ।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
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