पेड़ पौधे से प्रदूषण कैसे कम करे? How does pollution work with trees and plants?
Автор: @strategist145
Загружено: 2023-10-09
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पेड़ पौधे से प्रदूषण कैसे काम करे? How does pollution work with trees and plants?
पेड़ पौधे इंसान के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितने हवा और पानी. लेकिन इंसानी बस्तियां इन्हें काटकर ही बसाई जाती हैं.
इंसान इसकी भारी क़ीमत चुका भी रहा है. उसे प्रदूषण के साथ जीना पड़ रहा है. अनगिनत बीमारियां गले पड़ रही हैं. लेकिन अब इंसान को अपनी ग़लती का एहसास हो गया है. नए पेड़ पौधे लगाकर वो अब क़ुदरत का क़र्ज़ उतार रहा है.
साथ ही शहरों का प्रदूषण कम करने का प्रयास भी किया जा रहा है. दिल्ली हो, लंदन हो या पेरिस, दुनिया के तमाम शहरों में हरियाली बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है.
लेकिन सभी पेड़ या पौधे एक समान स्तर पर प्रदूषण ख़त्म नहीं करते. इसके लिए पहले ये जानना ज़रूरी है कि कहां किस स्तर का प्रदूषण है और फिर उसके मुताबिक़ ही वहां पेड़ लगाए जाएं. साथ ही ये समझना भी ज़रूरी है कि पेड़ हवा की गुणवत्ता बेहतर करते हैं, न कि हवा को पूरी तरह साफ़ करते हैं. हवा स्वच्छ बनाने के लिए ज़रूरी है कि कार्बन उत्सर्जन कम से कम किया जाए.
पौधे वातावरण के लिए फेफड़ों का काम करते हैं. ये ऑक्सीजन छोड़ते हैं. और, वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड सोख कर हवा को शुद्ध बनाते हैं. पौधों की पत्तियां भी सल्फ़र डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसे ख़तरनाक तत्व अपने में समा लेती हैं और हवा को साफ़ बनाती हैं. यही नहीं, कई तरह के प्रदूषित तत्व पौधों की मख़मली टहनियों और पत्तियों पर चिपक जाते हैं और पानी पड़ने पर धुल कर बह जाते हैं.
रिहाइशी इलाक़ों की तुलना में सड़कों पर प्रदूषण ज़्यादा होता है. लिहाज़ा यहां ज़्यादा घने और चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ लगाने चाहिए. पत्तियां जितनी ज़्यादा चौड़ी और घनी होंगी, उतना ही ज़्यादा प्रदूषण सोखने में सक्षम होंगी.
एक रिसर्च बताती है कि छोटे रेशे वाली पत्तियों के पौधे भी PM नियंत्रित करने में अहम रोल निभाते हैं. जैसे देवदार और साइप्रस जैसे पेड़ अच्छे एयर प्यूरिफ़ायर का काम करते हैं. रिसर्च में पाया गया है कि इन पेड़ों की पत्तियों में PM 2.5 के ज़हरीले तत्व सोखने की क्षमता सबसे ज़्यादा होती है.
बीजिंग जैसे प्रदूषित शहरों में तो ऐसे ही पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है. देवदार की एक ख़ासियत ये भी है कि ये सदाबहार पेड़ है. इसलिए ये हर समय हवा साफ़ करने का काम करता रहता है.
वहीं जानकार ये भी कहते हैं कि बर्फ़ वाली जगहों के लिए देवदार अच्छा विकल्प नहीं है. चूंकि ये पेड़ बहुत ज़्यादा घने होते हैं. लिहाज़ा सूरज की रोशनी ज़मीन तक सीधे नहीं पहुंचने देते. इससे बर्फ़ पिघलने में समय लगता है. साथ ही बर्फ़ पिघलाने के लिए बहुत से इलाक़ों में नमक का इस्तेमाल होता है जो कि देवदार के लिए उचित नहीं है.
जानकारों के मुताबिक़ पतझड़ वाले पेड़ों के कई नुक़सान भी हैं. उत्तरी गोलार्द्ध में चिनार और ब्लैक गम ट्री बड़ी संख्या में लगाए जाते हैं. ये पेड़ बड़ी मात्रा में वोलेटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड (VOCs) छोड़ते हैं.
बेहतर यही है कि जिस इलाक़े में क़ुदरती तौर पर जो पेड़ पौधे उगते हैं वही रहने दिए जाएं. जबकि बहुत से जानकारों का कहना है कि ज़रूरत के मुताबिक़ अन्य इलाक़ों के पौधे लगाने में भी कोई हर्ज नहीं हैं.
@strategist145
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