Shiv Chalisa - Jai Girijapati Deen Dayala With Lyrics 11 Times | शिव चालीसा | जय गिरिजापति दीनदयाला
Автор: Stories by Abhishu
Загружено: 2025-02-27
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Shiv Chalisa - Jai Girijapati Deen Dayala With Lyrics 11 Times | शिव चालीसा | जय गिरिजापति दीनदयाला | Shiv Chalisa | शिव चालीसा | Jai Girijapati Deen Dayala | जय गिरिजापति दीनदयाला | Shiv Chalisa Fast #storiesbyabhishu
Shiv Chalisa -
दोहा
जय गणेश गिरिजासुवन, मंगल मूल सुजान कहत अयोध्यादास तुम, देउ अभय वरदान
जय गिरिजापति दीनदयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला । भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के । अंग गौर सिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन क्षार लगाये । वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देखि नाग मन मोहे । मैना मातु कि हवै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी । कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी । नन्दि गणेश सोहैं तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे । कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि कौ जात न काऊ । देवन जबहीं जाय पुकारा, तबहीं दुःख प्रभु आप निवारा । किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी । तुरत षडानन आप पठायउ, लव निमेष महँ मारि गिरायउ। आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा । त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा करि लीन बचाई । किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरव प्रतिज्ञा तासु पुरारी । दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं। वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई। प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरत सुरासुर भए विहाला । कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकंठ तब नाम कहाई । पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीशण दीन्हा। सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं त्रिपुरारी । एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नैन पूजन चहुं सोई। कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर। जय जय जय अनन्त अविनाशी, करत कृपा सबके घटवासी । दुष्ट सकल निति मोहि सतावै, भ्रमत रहीं मोहि चैन न आवैं। त्राहि-त्राहि मैं नाथ पुकारों, यहि अवसर मोहि आन उबारों। ले त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट तें मोहि आन उबारों। मातु पिता भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहीं कोई । स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी । धन निर्धन को देत सदा हीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं । स्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी। शंकर हो संकट के नाशन, विघ्न विनाशन मंगल कारन। योगी यति मुनि ध्यान लगावें, नारद शारद शीश नवावें । नमो नमो जय नमः शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाये । जो यह पाठ करे मन लाई, ता पर होत हैं शम्भु सहाई । ऋनियां जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी । पुत्र हीन कर इच्छा जोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई । पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे । त्रयोदशी व्रत करे हमेशा, तन नहिं ताके रहे कलेशा । धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे । जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्त धाम शिवपुर में पावे । कहै अयोध्या आस तुम्हारी, जानि सकल दुख हरहु हमारी ।
दोहा
नित्य नेम कर प्रातः ही पाठ करो चालीस, तुम मेरी मनोकामना पूर्ण करो जगदीश । मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत् चौसठजान, अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ।।
Shiv Chalisa 11 Times
Jai Girijapati Deen Dayala With Lyrics 11 Times
शिव चालीसा
जय गिरिजापति दीनदयाला
Shiv Chalisa | शिव चालीसा
Jai Girijapati Deen Dayala
जय गिरिजापति दीनदयाला
Shiv Chalisa Fast
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