संग्रामपुर में होली का अनूठा जश्न: दो दिन की होली पर पत्रकार राजीव कुमार का विशेष संवाद
Автор: REPUBLIC 7 भारत
Загружено: 2025-03-15
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संग्रामपुर, भारत – भारत में होली का पर्व सिर्फ रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक भी है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, होली के साथ ही नए साल की शुरुआत मानी जाती है। ऐसे में देश के विभिन्न भागों में होली को अलग-अलग परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
संग्रामपुर में भी होली का उत्सव विशेष उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। यहां दो दिनों तक होली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। पहले दिन मिट्टी की होली (पार्क से) खेली गई, जिसमें गांव के लोग मिट्टी में रंगों के साथ खेलते हैं। इसके बाद दूसरे दिन रंगों की होली खेलकर एक-दूसरे को बधाई दी गई। इस अवसर पर गांव के लोग पुरानी दुश्मनी भूलकर गले मिले और रंग-गुलाल लगाकर आपसी प्रेम और सौहार्द का संदेश दिया।
राजीव कुमार ने पूछे महत्वपूर्ण सवाल
इस उत्सव के दौरान 'रिपब्लिक 7 भारत' के यूवा पत्रकार राजीव कुमार ने गांव के लोगों से विशेष बातचीत की। उन्होंने पूछा, "दो दिन तक होली मनाने के पीछे क्या मान्यता है, और इस परंपरा को निभाने में आप कैसा अनुभव करते हैं?"
गांव के युवाओ ने बताया कि पहली होली, जिसे 'मिट्टी की होली' कहा जाता है, का महत्व यह है कि इससे धरती माता का सम्मान होता है। वहीं, दूसरी दिन रंगों की होली आपसी प्रेम और मेल-जोल को बढ़ावा देती है। इस मौके पर खेल-खिलौनों, पिचकारियों और रंगों से बच्चों ने भी खूब आनंद उठाया।
राजीव कुमार ने कहा, "भारत की विविधता में एकता को होली के पर्व से बेहतर कोई नहीं समझा सकता। दो दिन तक अलग-अलग परंपराओं से होली मनाना वास्तव में अद्भुत अनुभव है। इससे न केवल पारंपरिक संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, बल्कि लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे की भावना भी मजबूत होती है।"
भाईचारे और प्रेम का संदेश
संग्रामपुर की होली में खास बात यह रही कि सभी जाति और धर्म के लोग मिलकर इस पर्व को मनाते हैं। एक दूसरे को रंग लगाकर गिले-शिकवे मिटाए जाते हैं और एक नई शुरुआत का संदेश दिया जाता है। साथ ही, पारंपरिक पकवानों का भी आनंद लिया जाता है।
संग्रामपुर का संदेश पूरे देश के लिए
राजीव कुमार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि संग्रामपुर की होली देश के हर गांव और शहर के लिए एक प्रेरणा है। यहां की परंपरा यह सिखाती है कि पर्व-त्योहारों का असली मकसद आपसी प्रेम, सद्भावना और भाईचारे को बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष
संग्रामपुर में दो दिन की होली ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत में त्योहार सिर्फ रस्म अदायगी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं। इन आयोजनों के माध्यम से हम अपने रिश्तों को और मजबूत बना सकते हैं। राजीव कुमार की यह विशेष रिपोर्ट समाज में सकारात्मक संदेश देने का कार्य करती है।
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