काज़ी पर केस दर्ज_निकाह कराने का आरोप।high court arguments। educational video
Автор: taxl ls
Загружено: 2025-12-01
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सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट में FIR की फाइल खोली जाती है —
आरोप: काज़ी साहब ने दो बालिग व्यक्तियों का निकाह कराकर अपराध में सहायता की और परिवार की सहमति के बिना विवाह करवाया।
IPC और नए BNS की कुछ धाराएँ लगाकर मामला दर्ज किया गया था — इस आधार पर कि लड़की घर छोड़कर चली गई थी।
जैसे ही बहस शुरू होती है —
पेटिशनर (काज़ी साहब) के वकील की दलील:
निकाह पढ़ाना एक वैधानिक प्रक्रिया है, न कि अपराध।
दोनों पक्ष बालिग हैं और स्वतंत्र इच्छा से विवाह कर चुके थे।
"सहमति देने वाले वयस्कों के विवाह में किसी तीसरे व्यक्ति को आरोपी बनाना कानून की गलत व्याख्या है।
सरकारी वकील (State) की दलील:
परिवार ने गुमशुदगी और प्रलोभन का आरोप लगाया था, इसलिए FIR दर्ज हुई।
लड़की के घर छोड़ने से Law & Order की स्थिति बनी थी, इसलिए प्रक्रिया के अनुसार केस दर्ज हुआ।
पुलिस को जांच का मौका दिया जाए।
जज साहब का निर्णय:
जहाँ दोनों पक्ष बालिग हों और विवाह के लिए स्वेच्छा से सहमत हों, वहाँ विवाह की रस्म पूरी कराने वाले व्यक्ति पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं बनता। यह मामला निजी सहमति का है — न कि आपराधिक षड्यंत्र का।”
कोर्ट आदेश:
गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक
काज़ी साहब को पूरी सहयोगात्मक जांच का निर्देश
पुलिस को 60 दिनों में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने का आदेश
जज की अंतिम टिप्पणी:
कानून भावनाओं से नहीं, तथ्यों से चलता है — और तथ्य यह है कि केवल विवाह करवाने से कोई अपराध सिद्ध नहीं होता।”
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