संघर्ष से शिखर तक: श्रीमती रक्षा वाघे की प्रेरणादायक कहानी।गांव : मानगांव,तालुका महाड़,जोला
Автор: Mission UMED - उमेद अभियान
Загружено: 2025-11-11
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संघर्ष से शिखर तक: श्रीमती रक्षा वाघे की प्रेरणादायक कहानी
निजामपुर, तालुका मानगांव, जिला रायगड की निवासी श्रीमती रक्षा वाघे ने अपनी लगन, आत्मविश्वास और 'उमेद अभियान' (महाराष्ट्र राज्य ग्रामीण जीवनोन्नति अभियान) के सशक्त समर्थन से होटल और कैटरिंग व्यवसाय में एक असाधारण मुकाम हासिल किया है। यह कहानी है उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति की, जिसने उन्हें अभाव के अंधेरे से निकालकर सम्मान और समृद्धि के प्रकाश तक पहुंचाया।
संघर्ष के दिन और गाँव की ओर वापसी
रक्षा वाघे के जीवन की शुरुआत आर्थिक चुनौतियों से भरी थी। पनवेल में रहते हुए, उनकी आजीविका लोगों के घरों में काम करने और कभी-कभी टिफिन बनाकर देने तक सीमित थी। इस सीमित आय से बच्चों की शिक्षा और घर का किराया चुकाना मुश्किल होता जा रहा था। आर्थिक तंगी ने उन्हें घेर लिया था।
अंततः, उन्होंने शहर को छोड़कर अपने गाँव लौटने का कठिन लेकिन आवश्यक निर्णय लिया। यह वापसी केवल एक भौगोलिक बदलाव नहीं था, बल्कि उनके जीवन के संघर्ष का एक नया अध्याय था।
उमेद अभियान: एक नई सुबह का सूरज
गाँव लौटने के बाद, वर्ष 2019 में आयोजित हुए सीआरपी (कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन) राउंड के दौरान, रक्षा वाघे ने एक स्वयं सहायता समूह (SHG) का गठन किया। इसी पहल के माध्यम से उन्हें 'उमेद अभियान' के बारे में पता चला, जिसने उनके सपनों को नई दिशा दी।
अभियान के शुरुआती चरण में, उन्हें आरएफ (रिवॉल्विंग फंड) निधि से ऋण मिला। यह छोटी सी पूंजी उनके व्यवसाय की नींव बनी, और उन्होंने अपना कैटरिंग कार्य शुरू कर दिया।
प्रगति के पंख और ऊंची उड़ान
जैसे-जैसे उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया, उमेद अभियान का समर्थन भी बढ़ता गया। उन्हें सीआईएफ (कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड) निधि प्राप्त हुई। इस निधि और समूह की विश्वसनीयता के आधार पर, उन्होंने बैंक से 3 लाख रुपये का बैंक लिंकेज सुरक्षित किया।
इस राशि का उपयोग उन्होंने कैटरिंग के लिए आवश्यक बर्तन और उपकरण खरीदने में किया, जिससे उनके व्यवसाय को प्रगति के पंख लगे। उन्होंने अपने कैटरिंग के काम को व्यवस्थित रूप से खड़ा किया। इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आज, निजामपुर में उनका स्वयं का स्थापित होटल है, जहाँ वे सुबह के नाश्ते में वड़ा पाव, गरमागरम मिसळ, पॅटिस और कांदा पोहा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन परोसती हैं, वहीं कैटरिंग में हर तरह की डिश कुशलता से बनाती हैं। उनकी आर्थिक स्थिति में भारी सुधार आया है और वे अब एक आत्मनिर्भर और सफल उद्यमी हैं।
भव्य रेस्तरां का सपना और महिला सशक्तिकरण
रक्षा वाघे का सपना अब बड़ा है। वह अपने सफल कैटरिंग व्यवसाय को एक भव्य रेस्तरां में बदलना चाहती हैं। उनका विज़न स्पष्ट है: "रेस्तरां में मेरी सभी ग्रामीण महिलाएं काम करें, और जो भी मेहमान आएं, उन्हें कोंकण की संस्कृति और स्वाद का अहसास होना चाहिए।"
उन्हें पूरा विश्वास है कि उमेद अभियान के निरंतर समर्थन से वह इस सपने को निश्चित रूप से साकार कर पाएंगी, और गाँव की कई महिलाओं को रोजगार के अवसर और स्वावलंबन की राह दिखाएंगी।
श्रीमती रक्षा वाघे आज जो कुछ भी हैं, उसके लिए वह उमेद अभियान की आभारी हैं। आज उन्हें अपने गाँव, तालुका और जिले में बहुत सम्मान प्राप्त है। उमेद के कारण ही उन्हें जीवन में अपनी एक पहचान और एक नया जीवन मिला है। उनकी कहानी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण का एक जीवंत उदाहरण है।
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