Anjeer Ki Kheti ki Full Information || अंजीर की खेती || Fig Farming ||
Автор: News Potli
Загружено: 2023-01-05
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बदलते वक्त के साथ पारंपरकि खेती के तौर-तरीके भी बदल गए हैं। किसान नई-नई फसलें लगाने लगाने लगे हैं, जो किसानों को मोटा मुनाफा भी करा रही हैं। बस अपने इलाके के मौसम के मुताबिक फसल का चुनाव कीजिए और मार्केट तलाश कर खेती से पैसा कमाइए। न्यूज पोटली में आज हम आपको राजस्थान में श्रीगंगानगर के लालगढ़ जाटन लेकर चलते हैं। और दिखाते हैं कि कैसे अंजीर की खेती किसानों को मालामाल कर रही है। अंजीर की खेती के बारे में विस्तार से बताएंगे लेकिन उससे पहले मिलिए एक खास किसान से।
गोपाल सिहाग कुछ साल पहले इन्होंने अंजीर की खेती को अपना व्यवसाय बनाया और आज इससे सालाना 7 लाख रुपये से भी ज्यादा कमा रहे हैं। न्यूज पोटली से बात करते हुए सिहाग ने बताया पारंपरिक खेती में मुनाफा नहीं हो रहा था इसलिए उन्होंने अंजीर की खेती करने का मन बनाया और यूट्यूब इसकी जानकारी जुटाई l इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों से खेती के बारे में सलाह ली। गोपाल सिहाग, बताते हैं कि 6 बीघा यानि करीब 2 एकड़ में उन्होंने 1200 पौधे लगाए हुए हैं। उनका कहना है कि पौधे अभी छोटे हैं जिसकी वजह से एक पौधे से 5- 8 किलो फल ही मिल रहा, जिससे वो 7 लाख रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं। आने वाले कुछ सालों में एक पौधे से 30-40 किलो तक फल मिलने की उम्मीद है, जो आगे बढ़ते जाएँगे। तब ये आमदनी कई गुनी तक बढ़ सकती है।
सिहाग बताते हैं कि उन्होंने अंजीर की खेती और बिजनेस में घुसने के बाद स्थानीय मंडी यानिए एपीएमसी श्रीगंगानगर के जरिये कई कंपनियों से संपर्क किया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और आज वो कई कंपनियों को अंजीर सप्लाई करते हैं।
दरअसल अंजीर का इस्तेमाल बड़ी तादाद में दवाओं को बनाने में किया जाता है। अंजीर बहुत मीठा गूदेदार रेशे वाला फल होता है। इसमें कैल्शियम, वाइटामिन A, B और C खूब पाया जाता है। अंजीर में पोटेशियम की मात्रा भी भरपूर होती है, जिससे ये डायबिटीज़ के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद बताया जाता है। अंजीर के रेग्युलर इस्तेमाल से आपका ब्लड प्रेशर भी ठीक रहता है। अंजीर में कैल्शियम बहुत होने की वजह से ये हड्डियों को मजबूत रखता है।
अब तक आप ने अंजीर से होने किसानों और आम लोगों के फायदे तो जान लिए। इस वीडियो को देखने के बाद अगर आप भी अंजीर का बागान लगाने का मन बना रहे हैं तो इसकी बागवानी कैसे होती है ये भी जान लीजिए। इस गूदेदार फल को हिंदी,मराठी, उर्दू, पंजाबी में इसे अंजीर, तेलगू में अथी पल्लू, तमिल और मलयालय में अथी पझम, बंगाली में दमूर कहते हैं। इसे कच्चा और सुखाकर दोनों तरह से खाया जाता है। भारत में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है। पुणे में अंजीर की व्यवसायिक खेती होती है। दुनियभर में फिग यानि अंजीर की 20 से ज्यादा किस्में खाने योग्य हैं। भारत में, कोंड्रिया, तिमला,चालिसगांव, फिग डायना, पूना फिग और फिग दिनकर काफी प्रचलित हैं। पूना फिग को महाराष्ट्र क्षेत्र के लिए उपयुक्त बताया जाता है।
अंजीर की खेती के लिए जलवायु
अंजीर के पौधे के लिए यूं तो भूमध्यसागरीय जलवायु बेहतर होती, लेकिन उत्तर भारत के मध्य भूखंड की जलवायु भी इसके लिए ठीक मानी जाती हैं। राजस्थान कि बात करें तो यहां कि जलवायु इसके लिए सबसे अच्छी है, क्योंकि इसके फल पकने के वक्त शुष्क जलवायु कि जरूरत होती है। हालांकि कम तापमान इस फसल के लिए नुकसानदायक नहीं है। अंजीर को विशेष रूप से कम बारिश वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है, जहां अक्टूबर से मार्च तक पानी की उपलब्धता कम होती है। अंजीर का फल 45-50 दिनों में पककर तैयार हो जाता है।
अंजीर की खेती
अंजीर की खेती के लिए इसके पौधों की रोपाई दिसंबर और जनवरी का समय सबसे उपयुक्त होता है। ये किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीच- 6-8 के बीच होना चाहिए। अंजीर के पौधे बहुत बड़े भी हो सकते हैं लेकिन कमर्शियल खेती के लिए 6 बाई 6 या 6 गुणा 8 मीटर पर पौधे लगाए जाने चाहिए। अंजीर के पौधे को ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है।
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न्यूज पोटली के लिए राजस्थान के श्रीगंगानगर से काका सिंह की रिपोर्ट
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