Primitive Tribe Asur - Story of melting iron आदिम जनजाति असुर कैसे गलाते थे लोहा
Автор: हमर झारखण्ड
Загружено: 2020-11-29
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असुरों का इतिहास बहुत प्राचीन और गौरवशाली है ।आधुनिक भाषा में इन्हें वैज्ञानिक की श्रेणी में रखा जाता है। इन्हें ताम्र, कांस्य और लौह युग का यात्री माना जाता है ।आदि काल से असुर लौह कर्मी रहे हैं ।लोहा गलाना उनका पारंपरिक पेशा था। पाट क्षेत्र और जंगल के पास रहने के कारण इन्हें लकड़ी कोयला के साथ ही लोहा निर्माण से जुड़े अयस्क आसपास में मिल जाते थे। लोहा गलाने के लिए यह तीनों का उपयोग करते थे।
गोटा - लेटेराइट
पीला - मैग्नेटाइट
बिच्छी - हेमाटाइट
वन विभाग द्वारा वृक्षों की कटाई रोकने और निर्माण की लागत ज्यादा होने के कारण इन्हें अपना परंपरागत कार्य छोड़ना पड़ा। इनका लोहा बिना किसी मिलावट का होता था और कहा यह भी जाता है कि इनके बनाए लोहे में जंग नहीं लगता था जबकि आज के बने लोहे में कुछ ही दिन में जंग लगने लगता है।
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