मैंने अपनी बेटी बाथरूम साफ करते पकड़ा, उसके ससुर हँसकर बोले, इसे बस यही आता है… फिर मैंने फोन किया…
Автор: पर्दा उठा सच
Загружено: 2025-12-02
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😰 जब मैंने अपनी बेटी आंचल को उसके ससुराल में देखा, तो मैं जो देख रही थी उस पर मुझे यकीन ही नहीं हुआ। मेरी वो बेटी जिसे मैंने एमबीए करवाया, जो बैंक में अच्छी नौकरी करती थी, वो अचानक इतनी बदल कैसे गई? उसकी आंखों में वो चमक कहां गई? उसकी हंसी कहां खो गई?
💔 छह महीने से उसके फोन कम होते जा रहे थे। जब मैं बात करती तो वो जल्दी-जल्दी कॉल काट देती। उसकी आवाज़ में कुछ अलग था, कुछ डरा हुआ सा। एक मां को पता चल जाता है जब उसकी बेटी कुछ छुपा रही होती है।
🔥 इसलिए मैंने बिना बताए इंदौर का टिकट काटा। जो मैंने वहां देखा, उसने मेरे भीतर की नींद उड़ा दी। लेकिन मेरे दामाद का परिवार नहीं जानता था कि मैं कौन हूं, मैंने अपनी जिंदगी में क्या किया है, और जब मैं एक फोन कॉल करती हूं तो क्या हो सकता है।
😤 मेरा नाम वसुंधरा राठौर है। मैं बावन साल की हूं। और उस सुबह साढ़े छह बजे जो मैंने देखा, उसके बाद मैंने फैसला कर लिया था कि अब बस, अब चुप नहीं रहूंगी।
⚡ क्या मेरी बेटी अपनी ही शादी में खुश थी या किसी जाल में फंस गई थी? क्या उसके साथ सच में सब ठीक था? और वो एक फोन कॉल कौन सा था जिसने सब कुछ बदल दिया? इस पूरी कहानी में छुपा है एक मां का गुस्सा, एक बेटी का दर्द, और न्याय की एक ऐसी लड़ाई जो आपको झकझोर देगी।
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